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Narmada River Parikrama: नर्मदा नदी की परिक्रमा क्यों की जाती है? क्या है इसका महत्व व धार्मिक मान्यताएं?

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नर्मदा नदी की परिक्रमा अद्वितीय है. नर्मदा परिक्रमा यात्रा मध्य प्रदेश के अमरकंटक, ओंकारेश्वर और उज्जैन से प्रारंभ होती है और वहीं पर समाप्त भी होती है.बड़ी संख्या में हर साल लोग मां नर्मदा की परिक्रमा करते हैं…और पढ़ें

नर्मदा नदी की परिक्रमा क्यों की जाती है? क्या है इसकी धार्मिक मान्यताएं

Narmada River Parikrama: नर्मदा नदी की परिक्रमा क्यों की जाती है? क्या है इसका महत्व व धार्मिक मान्यताएं

हाइलाइट्स

  • नर्मदा परिक्रमा से मोक्ष और आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है.
  • नर्मदा जी के दर्शन मात्र से पुण्य प्राप्त होता है.
  • नर्मदा परिक्रमा तीर्थ यात्रा से अधिक पुण्यदायी मानी जाती है.

Narmada River Parikrama: विश्व में कई नदियां बहती हैं जिनकी महिमा का वर्णन हमने शास्त्र पुराणों में सुना है. इन्हीं में सम्मिलित एक ऐसी नदी हैं मां नर्मदा, जो कि विश्व में एकमात्र ऐसी नदी हैं जिनकी परिक्रमा की जाती है. कहा जाता है कि गंगा मैय्या में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है लेकिन नर्मदा जी के दर्शन मात्र से ही पुण्य मिल जाता है.

नर्मदा नदी के बारे में वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य प्रातः काल उठकर नर्मदा जी में स्नान व नाम जप करता है उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. इतना ही नहीं नर्मदा जी की इतनी महिमा है कि उनमें पाया जाने वाला कंकड भी शंकर के समान माना जाता है. ऐसे में क्या है जानते हैं भोपाल के ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से की क्यों और कब की जाती है मां नर्मदा की परिक्रमा.

भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुईं थी मां नर्मदा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था. साथ ही बताया जाता है कि नर्मदा जी के तट पर लगभग 88 हजार तीर्थ मौजूद हैं. इसके साथ ही अगर कहीं भगवान शिव के मंदिर के पास नर्मदा जी प्रवाहित होती हों, तो वहां स्नान करने से एक लाख गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है.

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पश्चिम दिशा में बहती है नर्मदा नदी
नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले के अमरकंटक में नर्मदा का उद्गम स्थल माना जाता है. अमरकंटक से अवतरित हुई नर्मदा जी बाकी सभी नदियों के ठीक विपरीत पश्चिम दिशा की तरफ उल्टी बहती हैं. बता दें कि पश्चिम दिशा में बहने वाली यह देश की सबसे बड़ी नदी है.

क्यों की जाती है नर्मदा जी की परिक्रमा?
पुराणों में नर्मदा नदी की परिक्रमा का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार, बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में एक बार नर्मदा परिक्रमा कर लेता है उसे जीवन के कई सारे ज्ञान एक साथ प्राप्त हो जाते हैं. इसके साथ ही उसके पापों का नाश हो जाता है व उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि नर्मदा जी को दाहिनी ओर रखते हुए उनकी परिक्रमा की शुरुआत की जाती है. कई लोगों के अनुभव के अनुसार माना जाता है कि नर्मदा मैय्या की परिक्रमा कर लेने से लोगों की जिंदगी बदल जाती है. उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है.

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तीर्थ यात्रा के बराबर मिलता है फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी का महातम्य इतना ज्यादा है कि जो भी व्यक्ति इनकी परिक्रमा करने आता है उसे एक तीर्थ यात्रा में जितना पुण्य मिलता है उससे कहीं ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में मिलता है. नर्मदा परिक्रमा के लिए लोगों की बड़ी आस्था बनी हुई है. कई लोग नर्मदा परिक्रमा किसी शुभ दिन और विशेष मुहूर्त से नर्मदा जी की परिक्रमा करते हैं, तो कई लोग साल में कभी भी यात्रा शुरू कर देते हैं.

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