अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: शारदीय नवरात्र के तीन दिन बीत चुके हैं और आज नवरात्रि का चौथा दिन है. नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के पूजन का विधान है. मां कुष्मांडा को आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी. देवी के तेज से ही सभी दिशाएं प्रकाशवासन होती हैं.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा के दर्शन से हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जिन्हें गर्भ में पल रहे बच्चों पर संकट होता है या गर्भधारण में बार बार मुश्किलें आती है, वो भी यदि नवरात्रि के चौथे दिन देवी की पूजा उपासना पूरे विधि विधान से करें, तो मां कुष्मांडा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
इन चीजों से देवी होंगी प्रसन्न
मां कुष्मांडा के पूजन के दौरान उन्हें लाल चुनरी, लाल गुड़हल के फूल, रोली, लाल पेड़ा अपर्ण कर उनकी पूजा आराधना करनी चाहिए. इस दौरान उनके सामने घी का दीपक भी जरूर जलाना चाहिए. इससे देवी अतिशीघ्र ही प्रसन्न होती है और भक्तों पर उनकी कृपा भी सदैव बनी रहती है.
ऐसा है देवी का स्वरूप
पुराणों के अनुसार मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके आठ भुजाओं में धनुष, कमंडल, बाण, कमलपुष्प, चक्र, गदा, अमृतकलश और जपमाला है. मां कुष्मांडा की सवारी शेर है और इनके हाथों में अष्ट सिद्धि और नौ निधियां हैं. इनके दर्शन से यश, बल, आरोग्य की वृद्धि होती है.
ये है देवी का मंत्र
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन पूजा के दौरान ‘ऊं कुष्मांडायै नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अलावा आप ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 6, 2024, 10:16 IST
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