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Bhadrakali Mandir Rishikesh: ऋषिकेश स्थित भद्रकाली मंदिर धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है. यहां हर रविवार विशेष डोला पूजा होती है और नवरात्रों में नौ दिन तक पूजा का आयोजन होता है. भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं और मानसिक शांति व आत्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं.
ऋषिकेश: उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित भद्रकाली मंदिर अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत भी माना जाता है. भद्रकाली माता की विशेष पूजा हर रविवार को होती है, जिसे स्थानीय लोग और दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा के साथ मानते हैं. इसके अलावा नवरात्रों में नौ दिन तक चलने वाली पूजा इस मंदिर की विशेष पहचान है, जो भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है.
भद्रकाली मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
Bharat.one से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी धनंजय प्रसाद ने बताया कि भद्रकाली मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि माता भद्रकाली ने दुष्ट राक्षस रक्तबीज का वध किया और संसार में धर्म और न्याय की स्थापना की. यही कारण है कि मंदिर को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे ऋषिकेश की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखा जाता है.
Bharat.one से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी धनंजय प्रसाद ने बताया कि भद्रकाली मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि माता भद्रकाली ने दुष्ट राक्षस रक्तबीज का वध किया और संसार में धर्म और न्याय की स्थापना की. यही कारण है कि मंदिर को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे ऋषिकेश की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखा जाता है.
डोला पूजा और श्रद्धालुओं की आस्था
भद्रकाली मंदिर में हर रविवार विशेष डोला पूजा का आयोजन होता है. इस दिन भक्त मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता भद्रकाली हर भक्त की परेशानियों को सुनती हैं और उन्हें हल करने का मार्ग दिखाती हैं. इस अवसर पर श्रद्धालु दीपक जलाते हैं, फूल अर्पित करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं.
भद्रकाली मंदिर में हर रविवार विशेष डोला पूजा का आयोजन होता है. इस दिन भक्त मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता भद्रकाली हर भक्त की परेशानियों को सुनती हैं और उन्हें हल करने का मार्ग दिखाती हैं. इस अवसर पर श्रद्धालु दीपक जलाते हैं, फूल अर्पित करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं.
डोला पूजा और नवरात्रों की रौनक के अलावा मंदिर परिसर में भक्त ध्यान और साधना का भी अनुभव कर सकते हैं. यह स्थान केवल पूजा के लिए ही नहीं बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक विकास के लिए भी उपयुक्त है. श्रद्धालु यहां आकर अपने जीवन की परेशानियों और तनाव से मुक्ति पाते हैं.
Seema Nath
पिछले 5 साल से मीडिया में सक्रिय, वर्तमान में Bharat.one हिंदी में कार्यरत. डिजिटल और प्रिंट मीडिया दोनों का अनुभव है. मुझे लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें लिखना और पढ़ना पसंद है.
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