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Navratri 2025 : देवी मां के इस स्वरूप ने पीलीभीत को दिलायी थी नकटा दानव से मुक्ति… करता था लोगों का शिकार

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Mata Yashwantari Devi Temple of Pilibhit : पीलीभीत में शारदीय नवरात्रि के दौरान प्राचीन मां यशवंतरी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. यह मंदिर 800 साल पुराना बताया गया है. मान्यता है कि मां भगवती ने नकटा दानव का वध किया था. इसके बाद उन्होंने यहां विश्राम और जल पीया था.

पीलीभीत. उत्तरप्रदेश के पीलीभीत शहर में स्थित माता यशवंतरी देवी मंदिर न केवल पीलीभीत बल्कि आसपास के तमाम इलाकों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है. नवरात्रि के दौरान दूर-दराज से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर 800 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है. हालांकि उत्तर प्रदेश गजेटियर के अनुसार इसका निर्माण 400 साल पहले हुआ था. मान्यता है कि पूर्णागिरी से लौटकर आते समय मां यशवतंरी देवी के दर्शन करने के बाद ही यात्रा पूर्ण मानी जाती है. मंदिर के शुरुआत से ही यहां प्राचीन तालाब है, जो आज भी बरकरार है. नवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु मंदिर में मां का आशीर्वाद लेने आते हैं.

Bharat.one से बातचीत के दौरान मंदिर के महंत पं. राजेश बाजपेयी ने बताया कि वे अपने परिवार की 8वीं पीढ़ी से हैं, जो कि इस समय मंदिर में महंत हैं. उन्‍होंने बताया कि मां यशवन्तरी देवी का मंदिर करीब 800 वर्ष पुराना है. वहीं, उत्तर प्रदेश गजेटियर के अनुसार मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है.

क्या है इस मंदिर की मान्यता?
पं. राजेश बाजपेयी ने बताया कि पौराणिक काल में पीलीभीत के चारों तरफ पीली मिट्टी से बनी एक दीवार हुआ करती थी, जिसके आधार पर शहर का नाम पीलीभीत पड़ा. वहीं, इसके चार द्वार हुआ करते थे. उत्तरी द्वार पर नकटा नाम का एक राक्षस पीलीभीत में आने-जाने वाले मवेशी और लोगों को अपना शिकार बनाता था. मां यशवन्तरी देवी काली का स्वरूप थीं. उन्होंने नकटा राक्षस का वध कर पीलीभीत को बचाया था. ऐसे में मां यशवंतरी देवी ने राक्षस का वध करने के बाद जहां विश्राम किया था और जल ग्रहण किया था, वहां इस मंदिर की स्थापना की गई है. आज भी मंदिर में वध में प्रयोग किए गए शस्त्र और जल सेवन करने वाला पात्र मौजूद हैं, जिसकी यहां आने वाले श्रद्धालु दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं.

ऐसे करें मां यशवन्तरी के दर्शन
मां यशवन्तरी देवी मंदिर पीलीभीत शहर के नकटादाना चौराहे के समीप स्थित है. उत्तराखंड की ओर से आने वाले लोग नकटादाना चौराहे से सीधे मंदिर जा सकते हैं. वहीं बरेली, लखनऊ, शाहजहांपुर की ओर से आने वाले लोग नौगवां चौराहा से गौहनिया चौराहे के रास्ते नकटादाना चौराहे पहुंच कर मंदिर पहुंच सकते हैं.

मृत्‍युंजय बघेल

मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ें

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