Home Dharma Pradosh Vrat: 4 या 5 सिंतबर, कब है भादो का अंतिम प्रदोष?...

Pradosh Vrat: 4 या 5 सिंतबर, कब है भादो का अंतिम प्रदोष? उज्जैन के पंडित से जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

0


Last Updated:

Pradosh Vrat September Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते हैं. इस व्रत के बारे में विस्ता…और पढ़ें

Ujjain News: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत किया जाता है और भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं कि उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से सितंबर का पहला और भादो मास का आख़री प्रदोष व्रत कब आ रहा है और इसका क्या धार्मिक महत्व.

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं इस तिथि का समापन 6 सितंबर को प्रातः 3 बजकर 12 मिनट पर होने जा रहा है. ऐसे में प्रदोष व्रत शुक्रवार 5 सितंबर को किया जाएगा. शुक्रवार का दिन पड़ने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. इस दौरान पूजा के लिए शाम 6:38 से रात 8:55 बजे तक का समय शुभ रहेगा.

शुक्र प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
शुक्रवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन खुशहाली आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. इसके साथ ही जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है. वहीं खासतौर पर इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए रखती हैं.

जरूर करें इन नियमों का पालन

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.

जरूर करें इन चीजों का दान
शुक्रवार मां लक्ष्मी और शुक्र देव को समर्पित है. साथ ही शिव जी को भी सफेद रंग की वस्तु प्रिय है, ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत के दिन दूध, दही, सफेद मिठाई, और सफेद वस्त्र दान करने चाहिए, साथ ही जरूरतमंदों को अन्न, फल, धन और कपड़े दान करें.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

4 या 5 सिंतबर, कब है भादो का अंतिम प्रदोष? जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version