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Sai Baba Controversy: बीएचयू के छात्र बोले- मैं साईं बाबा का विरोधी नहीं…पर मंदिर से मूर्ति हटाना सही

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वाराणसी: धर्म नगरी काशी के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं. साईं बाबा पर मचे इस बवाल और विवाद के बीच अब आम लोगों के रिएक्शन भी सामने आने लगे हैं. ज्यादातर लोग मंदिर से साईं की मूर्तियां हटाने का समर्थन कर रहे है. लोगों का कहना है कि जो काम सालों पहले होना चाहिए था, वह आज हो रहा है, लेकिन देर आए दुरुस्त आए, ये सही है.

बीएचयू के स्टूडेंट प्रशांत कुमार तिवारी ने कहा कि ‘वह साईं बाबा के विरोधी नहीं हैं. वह किसी धर्म मजहब के विरोधी नहीं हैं, लेकिन सनातन धर्म से कुछ चींजे निकालकर उसे विकृति के तौर पर फैलाना यह गलत है. इसलिए आज, जो मंदिरों से साईं की मूर्तियां हट रही हैं, वह पूरी तरह से सही है. इसे और पहले होना चाहिए था.

मंदिरों से मूर्ति हटाना अच्छा कदम
वहीं, इस मामले में अभिषेक ने बताया कि यह एक अच्छा कदम है. साईं बाबा का सनातन धर्म से कोई लेना देना नहीं है. साईं शब्द भी मूलतः फारसी का है. हमारे पुराणों में इसका कोई वर्णन नहीं है. इसलिए यह सनातनी के लिए पूजित नहीं हैं.

इसे नफरत की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए
अधोक्षज पांडेय ने कहा कि मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने के मामले को नफरत की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए. यदि किसी को आस्था है, तो वह अपने घर में रखकर साईं बाबा की पूजा कर सकता है, लेकिन इसे भगवान के साथ रखकर इनकी पूजा करना पूरी तरह से गलत है.

वहीं, इस मामले में बीएचयू के स्टूडेंट अभिनायक मिश्रा ने बताया कि काशी में जो भी काम होता है. वह शास्त्र संवत होता है. हमारे शास्त्रों में 33 कोटि देवी देवताओं का उल्लेख है, लेकिन उसमें कहीं भी साईं का नाम नहीं है. इसलिए मंदिरों से उनकी मूर्तियां हटाई जानी चाहिए.

गुरु पूजन का है विधान
वहीं, सन्नी पांडेय ने बताया कि सनातन धर्म में साईं बाबा का कोई अस्तित्व नहीं है. हमारे यहां गुरु के पूजन का विधान है, लेकिन साईं बाबा सनातनी धर्म के गुरु भी नहीं हैं. ऐसे में जिनकी आस्था उनमें हो वह उन्हें अपने घरों में पूज सकता है.

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