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Sree Adi Kesava Perumal Temple know importance and history of Adikesava Perumal mandir | 108 वैष्णव मंदिरों में खास है यह मंदिर, भगवान विष्णु की इस मुद्रा में इकलौती प्रतिमा, मां सरस्वती के राक्षसों से है इसका संबंध

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Sree Adi Kesava Perumal Temple: आपने भगवान विष्णु के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे, जहां प्रभु की प्रतिमा भक्तों को आशीर्वाद दे रही हो. लेकिन तमिलनाडु के तिरुवत्तार में भगवान विष्णु का एक ऐसा मंदिर है, जहां वह योग निद्रा में विराजमान हैं. मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.

Adi Kesava Perumal Temple: देश के हर हिस्से में भगवान विष्णु अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं. कहीं उन्हें विट्ठल कहा जाता है तो कहीं जगन्नाथ के रूप में पूजा जाता है, लेकिन तमिलनाडु के तिरुवत्तार में भगवान राक्षसों का वध करने के बाद योगनिद्रा अवस्था में विराजमान हैं. कहा जाता है कि इस स्वरूप के दर्शन करने से जीवन की हर बड़ी बाधा का हल हो जाता है क्योंकि स्वयं भगवान विष्णु आपकी रक्षा करने आते हैं. साथ ही इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बैकुंठ धाम की प्राप्ति भी होती. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के मंदिर के बारे में…

इससे बनी है भगवान की प्रतिमा
ढाई हजार साल पुराना श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर कई मायनों में खास है. इस मंदिर में विराजमान भगवान विष्णु की प्रतिमा 22 फीट लंबी है और बड़े से शेषनाथ की पीठ पर एक हाथ से सहारा लेकर सोते हुए दिखते हैं. यह पहली ऐसी भगवान की सोती हुई प्रतिमा है, जिसका पूजन किया जाता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है. भगवान विष्णु की ये प्रतिमा सरसों, गुड़ और चूने के पाउडर से बनी है.

108 वैष्णव मंदिर दिव्य देशम मंदिरों में से एक
माना जाता है कि भगवान विष्णु की योगनिद्रा की प्रतिमा ब्रह्मांड के प्रकट होने का स्वप्न देखती है और भक्तों की बुराई से रक्षा करने का दायित्व भी उठाती है. ये मंदिर ढाई हजार साल पुराना है और भारत के 108 वैष्णव मंदिर दिव्य देशम मंदिरों में से एक है. 108 मंदिरों में से 105 मंदिर भारत में स्थित हैं, जबकि बाकी के मंदिर नेपाल में हैं. मंदिर को लेकर किंवदंती भी प्रसिद्ध है कि लोगों को राक्षसों के अत्याचार से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण किया था.

भगवान विष्णु ने दोनों राक्षसों का किया वध
पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सरस्वती देवी के बिना एक यज्ञ किया था. इस बात से क्रोधित होकर, मां सरस्वती ने यज्ञ की अग्नि से केसन और केशी नामक दो असुर प्रकट किए. उन दोनों ने मिलकर धरती पर उत्पाद मचाया. देवगणों ने भगवान विष्णु से राक्षसों के विनाश की विनती की और भगवान विष्णु ने आदिकेशव पेरुमल का रूप लेकर दोनों राक्षसों का वध किया, वहीं अपना स्थान बना लिया. लेकिन अपने भाइयों के वध का बदला लेने के लिए राक्षसी केसी ने अपनी सहेली नदी कोथाई के साथ मिलकर, नदियों का रूप लेकर भगवान विष्णु को डुबाने की कोशिश की, लेकिन भू देवी ने योग निद्रा में गए भगवान विष्णु को बचाने के लिए जमीन को 50 फीट ऊपर उठा दिया.

गृभग्रह में जाने के तीन रास्ते
आज भी ये मंदिर कोथाई और पहराली नदियों से घिरा है और जमीन से 50 फीट की ऊंचाई पर बना है. श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर का बनाव और वास्तुकला तिरुवनंतपुरम के अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर के जैसी ही दिखती है. मंदिर के गृभग्रह का बनाव भी उसी मंदिर से मिलता है. गृभग्रह में जाने के लिए तीन रास्ते बनाए गए हैं. कुछ खास मौकों पर सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के गृभग्रह से होते हुए भगवान विष्णु पर गिरती हैं. वैकुंठ एकादशी के मौके पर मंदिर में बड़े अनुष्ठान किए जाते हैं. वैकुंठ एकादशी पर भगवान 4 महीने बाद योगनिद्रा से उठते हैं और इस मंदिर में भगवान विष्णु योगनिद्रा की अवस्था में ही भक्तों को दर्शन देते हैं.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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108 वैष्णव मंदिरों में खास यह मंदिर, विष्णुजी की इस मुद्रा में इकलौती प्रतिमा

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