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Utpanna Ekadashi Vrat Katha 2025: उत्पन्ना एकादशी व्रत आज है. उत्पन्ना एकादशी के दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, इस वजह से इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानते हैं. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु के साथ माता एकादशी की पूजा करते हैं. पूजा के दौरान उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय के बारे में.

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में मुर नामक दैत्य था. वह काफी शक्तिशाली और भयानक था. उसने अपने बल से देवताओं और उनके राजा इंद्र को भी पराजित कर दिया था. उसने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया और देवताओं को वहां से भगा दिया. मुर के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता शिव जी के पास गए. उनसे इस संकट से उबारने की प्रार्थना की. इस पर महादेव ने कहा कि वे भगवान विष्णु के पास जाएं, उनके पास ही इस समस्या का समाधान है.

शिव जी की आज्ञा से सभी देवता श्रीहरि विष्णु के पास गए. उन्होंने विष्णु भगवान से प्रार्थना की कि आप हमें मुर के आतंक से बचाएं. हम सब की रक्षा करें. इस पर भगवान विष्णु ने पूछा कि ऐसा कौन सा दैत्य है, जो सभी देवताओं को भयभीत कर रखा है और कहां रहता है?

इंद्र ने कहा कि मुर दैत्य का चंद्रावती में निवास है. वह नाड़ीजंघ का पुत्र है. व​ह काफी बलशाली और कुख्यात है. इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि वे जल्द हर मुर को दंडित करेंगे. आप सभी मुर की नगरी चंद्रावती चलें. सभी देवता हरि आज्ञा से चंद्रावती जाने लगे.

रास्ते में मुर अपनी सेना के साथ खड़ा था. वह जोर जोर से गरज रहा था. इससे डरकर सभी देवता भागने लगे. तब भगवान विष्णु आगे आए और उससे युद्ध के लिए तैयार हुए. उन्होंने मुर की सेना को तहस-नहस कर दिया. फिर मुर और भगवान विष्णु में युद्ध होने लगा. दोनों के बीच भीषण युद्ध 10 वर्षों तक चलता रहा. लेकिन मुर का अंत नहीं हुआ. युद्ध से थककर भगवान विष्णु बद्रीकाश्रम चले गए.

वे हेमंत नामक गुफा में विश्राम करने लगे. इस गुफा का एक ही प्रवेश द्वार था और यह 12 योजन लंबी थी. श्रीहरि योग निद्रा में थे, उनको खोजते हुए मुर भी उस गुफा में प्रवेश कर गया. वह श्रीहरि को योग निद्रा में देखकर खुश किया, उसे लगा कि इससे अच्छा मौका हमला करने के लिए नहीं मिलेगा. वह भगवान विष्णु पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा.

उसी समय भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं. उन्होंने मुर को ललकारा और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ. इस युद्ध में मुर मारा गया. उसके बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आए और देवी को देखा. उन्होंने कहा कि आपकी उत्पत्ति एकादशी को हुई है, इसलिए लोग आपको उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानेंगे. जो आपकी पूजा करेगा, उसे विष्णु कृपा प्राप्त होगी.

धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह पर भगवान श्रीकृष्ण ने उत्पन्ना एकादशी की यह कथा सुनाई थी. उन्होंने बताया कि जो भी विधि विधान से उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उसके सब कष्ट और पाप खत्म हो जाते हैं. उसे मोक्ष मिलता है.

उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त और पारण समय

मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ: आज, 12:49 ए एम से
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: कल, 02:37 ए एम पर
उत्पन्ना एकादशी पूजा मुहूर्त: आज, 08:04 ए एम से 09:25 ए एम तक
उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण: कल, 16 नवंबर, दोपहर 1:10 बजे से 3:18 बजे तक

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