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अजमेर के एक गांव में स्थित मां गौरी का ऐतिहासिक और चमत्कारिक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर की कहानी और यहां का जलकुंड काफी रहस्यमय है. आइए इसकी मान्यता के बारे में जानते हैं.
गौरीकुंड माता का प्राचीन मंदिर
हाइलाइट्स
- अजमेर के सराधना गांव में मां गौरी का चमत्कारिक जलकुंड है.
- कुंड का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है.
- कुंड का जल आध्यात्मिक शुद्धि और रोगों से मुक्ति प्रदान करता है.
अजमेर:- राजस्थान के अजमेर में सराधना गांव के पास अरावली की पहाड़ियों पर स्थित मां गौरी का ऐतिहासिक और चमत्कारिक प्राचीन मंदिर है. माता का यह पवित्र धाम मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि रहा है. माना जाता है कि ऋषि मार्कंडेय को यहीं पर माता ने दर्शन दिए थे. यह मंदिर सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां मंदिर परिसर में जल का एक कुंड है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है.
हजारों गैलन पानी निकालने के बाद भी खाली नहीं होता कुंड
मंदिर के पुजारी विशाल दत्त जोशी ने Bharat.one को बताया कि प्रांगण में जो जलकुंड है, वह काफी प्राचीन है. इस कुंड से हजारों गैलन पानी निकाला जाता रहा है, फिर भी यह कभी खाली नहीं होता है. मंदिर में माता का स्नान भी इस कुंड के पानी से होता है. सर्दियों में यह पानी गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है.
इस कुंड के जल को गंगा के समान पवित्र माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस कुंड का जल आध्यात्मिक शुद्धि और रोगों से मुक्ति प्रदान करता है. पुजारी ने आगे बताया कि महिलाओं को किसी प्रकार की मासिक धर्म की समस्या होती है, तो वह इसका सेवन करते हैं, उनकी यह समस्या दूर हो जाती है .
सिक्के डालकर मांगते हैं मन्नत
मंदिर के पुजारी ने Bharat.one को आगे बताया कि यह मंदिर अजमेरी ही नहीं, बल्कि राजस्थान के बाहर के लोगों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र है. उन्होंने आगे कहा कि वह जब से यहां सेवा कर रहे हैं, तब से कई लोगों की मनोकामना पूरी होते हुए देखा है. लोग गौरी माता मंदिर के दर्शन के साथ-साथ कुंड को भी आस्था केंद्र मानते हुए नमन करते हैं. इसमें सिक्के डालकर मन्नत मांगते हैं. उन्होंने आगे बताया कि जिन लोगों के काम माता की कृपा से बन जाते हैं, वो यहां प्रसाद चढ़ाते हैं. वहीं प्रसाद बनाने के लिए कुंड के जल का इस्तेमाल किया जाता है.
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