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राजस्थान का कोटा शहर सिर्फ कोचिंग के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खास स्वाद के लिए भी मशहूर है. यहां के रामपुरा कोतवाली की गलियों में बनने वाले मोटे सेव, जिन्हें “कोटा कड़के” कहा जाता है, शुद्ध अलसी के तेल में तले ज…और पढ़ें
कोटा के करारे कड़के जो जो तैयार होते है अलसी के तेल में, दूर दूर से आते हैं लोग
हाइलाइट्स
- कोटा कड़के शुद्ध अलसी के तेल में तले जाते हैं.
- त्योहारों में कोटा कड़के की बिक्री बढ़ जाती है.
- अटल बिहारी वाजपेयी भी कोटा कड़के के फैन थे.
अमित परीक/कोटा. कोटा सिर्फ कोचिंग हब ही नहीं, बल्कि यहां के मशहूर “कोटा कड़के” के लिए भी जाना जाता है. रामपुरा कोतवाली की गलियों में बनने वाले ये मोटे सेव शुद्ध अलसी के तेल में तले जाते हैं, जिससे न सिर्फ इनका स्वाद लाजवाब होता है, बल्कि ये पाचन के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं. इन खास कड़कों को खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, और यही वजह है कि कोटा की गलियों में इनका स्वाद बरसों से कायम है.
ऐसे तैयार किए जाते हैं मसाले
विदेशों तक डिमांड
कड़के व्यापारी शशांक बागड़ी के अनुसार, उनका यह पारिवारिक व्यापार तीन पीढ़ियों से चला आ रहा है. 1961 में उनके दादा ने इसकी शुरुआत की थी, जो अब न केवल देशभर में बल्कि विदेशों तक भी पहुंच चुका है. खासकर विदेशों में रहने वाले राजस्थानी लोग कोटा के कड़के की विशेष मांग करते हैं और इसे मंगवाते हैं.
जब भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत कोटा आते थे, तो यहां के पूर्व सांसद दाऊदयाल जोशी उनके लिए कड़के खरीदकर ले जाते थे.
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