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बोल-सुन नहीं सकते, फिर भी बना दी पहचान! इस रेस्टोरेंट पर लगती है स्वाद के दीवानों की लंबी कतार, जानें लोकेशन

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बरेली के दिव्यांग दंपती अनिल और एकता त्रिपाठी ने अक्टूबर 2024 में सैटेलाइट बस अड्डे के पास ‘राधा-मुरली’ नाम से साउथ इंडियन फूड रेस्टोरेंट खोला. उनकी कहानी सोशल मीडिया पर चर्चा में है.

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साउथ इंडियन रेस्टोरेंट राधा मुरली.

हाइलाइट्स

  • बरेली में दिव्यांग दंपती ने साउथ इंडियन रेस्टोरेंट खोला.
  • रेस्टोरेंट का नाम ‘राधा-मुरली’ रखा गया.
  • इडली, डोसा, बड़ा, उत्पम के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

विकल्प कुदेशिया/बरेली. कहते हैं कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी कमजोरी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाती. इस बात को सच साबित करते हुए बरेली के जेल रोड पर रहने वाले दिव्यांग दंपती, जो बोल और सुन नहीं सकते. उन्होंने अक्टूबर 2024 में सैटेलाइट बस अड्डे के पास एक रेस्टोरेंट खोला. यहां वे लोगों को स्वादिष्ट साउथ इंडियन फूड खिलाते हैं, जिसे लोग बहुत पसंद करते हैं.

दिव्यांग दंपती के रेस्टोरेंट में मिलने वाले साउथ इंडियन डिशेज जैसे इडली, डोसा, बड़ा और उत्पम के दीवाने शहरवासी दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. इनकी कहानी सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में है और प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हर तरफ इनकी ही बात हो रही है.

राधा-मुरली नाम से रेस्टोरेंट किया शुरू
अनिल कुमार त्रिपाठी और उनकी पत्नी एकता त्रिपाठी जन्म से ही बोल और सुन नहीं सकते. कुछ समय पहले वे आंवला की इफको फैक्ट्री में काम करते थे, यहां से वे 2021 में सेवानिवृत्त हो गए. उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर सैटेलाइट बस अड्डे के पास ‘राधा-मुरली’ नाम से रेस्टोरेंट शुरू किया. अनिल कुमार त्रिपाठी की बेटी फिलहाल में दिल्ली में कैंसर के मरीजों के स्वास्थ्य पर काम कर रही है. उन्होंने बताया कि 2017 में पढ़ाई के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ा, लेकिन दूर रहकर भी वह अपने माता-पिता का सहयोग करती हैं. दुकान मालिक और रेस्टोरेंट में सहयोगी भी अंधे-बहरे हैं, जिससे उनका समन्वय बना रहता है.

भाई-भाभी के नाम पर रखा नाम 
रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहकों से संवाद की समस्या को हल करने के लिए उन्होंने शेफ सत्यम को रखा, जिसे इशारों की भाषा सिखाई गई. वह दंपती की बात समझ लेता है, जिससे रेस्टोरेंट में आने वालों से संवाद में कोई दिक्कत नहीं होती. अनिल त्रिपाठी ने बताया कि उनके साथ फैक्ट्री में दक्षिण भारत के रहने वाले मुरली भी काम करते थे, जिन्हें वे बड़े भाई की तरह मानते थे. कुछ समय पहले मुरली की मृत्यु हो गई, और उनकी भाभी राधा के कहने पर ही उन्होंने साउथ इंडियन डिश का रेस्टोरेंट खोला. रेस्टोरेंट का नाम भी भाई-भाभी के नाम पर रखा गया है. दिव्यांग दंपती ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि कोई भी कमजोरी उनके सपनों के आगे नहीं टिक सकती.

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इस दिव्यांग दंपती के रेस्टोरेंट पर लोगों की भारी भीड़, सोशल मीडिया पर खूब चर्चा


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