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भरतपुर की सर्दियों में सरसों के साग का स्वाद हर घर में अपनी खुशबू छोड़ता है. खेतों में लहलहाती सरसों के पौधों से निकलता यह नर्म और कोमल हिस्सा, सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य का खजाना बनकर उभरता है. आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स से भरपूर यह साग न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है. मक्के की रोटी के साथ परोसा गया सरसों का साग, भरतपुर और आसपास के इलाकों में सर्दियों का एक खास व्यंजन बन चुका है.
भरतपुर में सर्दियों के साथ सरसों की फसल लहलहाने लगी है. सुनहरी धूप और ठंडी हवाओं के बीच खेतों में सरसों के हरे-भरे पौधे किसानों और ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं. इसी फसल से निकलता है सर्दियों का सबसे लोकप्रिय और स्वादिष्ट व्यंजन—सरसों का साग.
कई लोग इसे खाते हैं, लेकिन कम ही लोगों को यह पता होता है कि सरसों का साग वास्तव में सरसों के किस हिस्से से तैयार होता है. तो सबसे पहले, सरसों बोने के लगभग एक से डेढ़ महीने बाद जब पौधा बढ़ने लगता है, तो उसमें से एक नर्म और मुलायम हरा भाग निकलता है.
यही कोमल हिस्सा सरसों के साग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसमें पौधे की ऊपरी कोंपलें और नई पत्तियां सबसे ज्यादा कोमल होती हैं. इन्हीं को बड़ी सावधानी से तोड़ा जाता है, ताकि मुख्य पौधा खराब न हो और उसकी आगे की बढ़त पर कोई असर न पड़े. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं और किसान बड़ी बारीकी से इस नर्म भाग की तोड़ाई करते हैं.
क्योंकि यही साग के स्वाद और गुणवत्ता को तय करता है, तोड़ाई के बाद इस नर्म हिस्से को साफ पानी से अच्छी तरह धोकर काटा जाता है. फिर इसमें हल्का उबाल देने के बाद, इसे मसालों, मक्के के आटे और देसी घी के साथ पकाया जाता है. भरतपुर और आसपास के इलाकों में सर्दियों के मौसम में यही साग लोगों की थाली का खास हिस्सा बन जाता है.
किसानों का कहना है कि सरसों के इस कोमल भाग से बनी सब्जी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है. इसमें आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स की भरपूर मात्रा होती है, जो सर्दियों में शरीर को ऊर्जा देती है. भरतपुर के कई गांवों में अब सरसों के साग की खुशबू रसोई से बाहर फैलने लगी है.
सर्दियों की शुरुआत तब पूरी होती है, जब थाली में सरसों का साग और मक्के की रोटी आती है. इस तरह, सरसों की फसल का यही नर्म और हरा भाग सर्दियों के इस स्वादिष्ट व्यंजन की असली पहचान बन जाता है. भरतपुर के खेतों में अब न केवल सरसों की हरियाली छाई है, बल्कि आने वाले हफ्तों में यही हरियाली घरों की रसोई भी महकाएगी.
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