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मकराना के इस दुकान के दही बड़ों का नहीं है तोड़, स्वाद और परंपरा का अनूठा मेल, खाते ही दिल हो जाएगा खुश

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Nagaur Makrana Fame Dahi Bade: मकराना की पहचान सिर्फ संगमरमर नहीं बल्कि पारस मिष्ठान भंडार के लजीज दही बड़े भी हैं. पारंपरिक तरीके से बनाए गए ये दही बड़े अपनी खास मिठास, खटास और मसालों के संगम से लोगों के दिलों को भा जाते हैं. त्योहारी मौकों और आयोजनों में इनकी भारी मांग रहती है, और ये मकराना की मेहमाननवाजी का प्रतीक बन चुके हैं. यहां के दही बड़े खाने का अनुभव मकराना की संस्कृति से जुड़ा एक अनोखा एहसास देता है.

नागौर. संगमरमर नगरी मकराना अपनी अनोखी पहचान के लिए जानी जाती है. यहां की सफेद संगमरमर की चमक ने दुनिया भर में नाम कमाया है, लेकिन इस शहर की पहचान सिर्फ पत्थरों तक ही सीमित नहीं है. यहां का मशहूर पारस मिष्ठान भंडार भी उतना ही चर्चित है. खासकर इसके लजीज दही बड़े लोगों के दिलों पर राज करते हैं. पारस मिष्ठान भंडार के दही बड़े की खासियत इनका पारंपरिक स्वाद है.

नरम-गुलगुले दही बड़े, जिन पर गाढ़ा दही, खट्टा-मीठा स्वाद देने वाली चटनी और मसालों की हल्की छौंक मिलाकर ऐसा जायका बनता है कि खाने वाला इसे जीवन भर याद रखता है. यहां आने वाले ग्राहक कहते हैं कि यहां दही बड़े नहीं, दिल बड़े मिलते हैं. एक बार खा लो तो मन भी बड़ा हो जाता है.यही कारण है कि मकराना के लोग दो चीजों पर कभी समझौता नहीं करते. पहला संगमरमर और दूसरा पारस के दही बड़े.

मेहमाननवाजी का प्रतीक बन चुकी है दही बड़े

त्योहारों, शादियों और सांस्कृतिक आयोजनों में पारस मिष्ठान के दही बड़ों की भारी मांग रहती है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले मेहमान भी इन्हें चखने का मोह नहीं छोड़ते. कई लोग तो खासतौर पर मकराना पहुंचकर पैकिंग करवाकर अपने घर तक ले जाते हैं. यह सिर्फ मिठाई नहीं बल्कि मकराना की संस्कृति और मेहमाननवाजी का प्रतीक बन चुकी है. दही बड़ों को बनाने का तरीका भी बेहद खास है. पीढ़ियों से चला आ रहा पारंपरिक तरीका ही आज भी अपनाया जाता है.

उड़द दाल को भिगोकर पहले हाथों से फेंटा जाता है, जिससे बैटर फूला और हल्का बनता है. फिर इसे देसी घी या शुद्ध तेल में तलकर तैयार किया जाता है. इसके बाद इन्हें ठंडे पानी में भिगोकर नरम किया जाता है और ऊपर से गाढ़ा दही डाला जाता है. खास मिश्रण वाली मीठी-खट्टी चटनी और मिर्च-मसाले की छौंक इनका स्वाद दोगुना कर देती है. यही वजह है कि इन दही बड़ों का जायका बिल्कुल अलग और यादगार हो जाता है. मकराना आने वाले यात्रियों के लिए यह जगह किसी तीर्थ से कम नहीं. संगमरमर की चमक देखने के साथ-साथ अगर आप पारस मिष्ठान भंडार के दही बड़े नहीं खाते, तो यात्रा अधूरी रह जाती है. यहां बैठकर दही बड़े खाना ऐसा लगता है जैसे आप मकराना की धड़कनों को महसूस कर रहे हों.

deep ranjan

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें

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मकराना के इस दुकान के दही बड़ों का नहीं है कोई तोड़, खाते ही दिल हो जाएगा खुश


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