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मुंह में रखते ही घुल जाने वाले रोहट के रसगुल्ले, बन गए राजस्थान की नई पहचान, जानें रेसिपी

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पाली जिले का रोहट गांव अपनी मिठाइयों के लिए देश-विदेश में मशहूर हो चुका है. पहले यहां की कचोरी ने पहचान दिलाई और अब स्पंजी रसगुल्ले लोगों की पहली पसंद बन गए हैं.

पाली. राजस्थान के पाली जिले का रोहट गांव इन दिनों अपने खास स्वाद के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक नाम कमा रहा है. पहले यहां की कचोरी ने लोगों को दीवाना बनाया और अब यहां के रसगुल्ले लोगों की जुबान पर छा गए हैं. खासियत यह है कि ये रसगुल्ले इतने मुलायम और स्पंजी होते हैं कि मुंह में रखते ही घुल जाते हैं. यही नहीं, यहां आपको हर रंग के रसगुल्ले भी मिल जाएंगे.

मालाराम प्रजापत ने दिलाई रसगुल्लों की पहचान
रोहट के इन रसगुल्लों को खास पहचान दिलाने का काम किया है मालाराम प्रजापत ने. पीढ़ियों से उनका परिवार इस मिठास को बनाए हुए है. पहले लोग लूणी के रसगुल्लों की तारीफ किया करते थे, लेकिन अब रोहट के रसगुल्ले उनकी जगह ले चुके हैं. जोधपुर-पाली हाईवे पर रोहट की दुकानों पर रसगुल्ले खरीदने के लिए रोज भीड़ लगी रहती है.

देश-विदेश तक रसगुल्लों की लोकप्रियता
रोहट के रसगुल्ले अब केवल राजस्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश-विदेश में भी मशहूर हो चुके हैं. यहां आने वाले लोग इन्हें पैक करवाकर विदेश तक ले जाते हैं. रसगुल्लों की यह मिठास अब पाली की पहचान बन चुकी है.

हर महीने लाखों का कारोबार
रसगुल्लों के इस कारोबार से हर महीने लाखों रुपये की आमदनी होती है. हजारों परिवारों का गुजारा भी इसी कारोबार से हो रहा है. यहां रोजाना हजारों क्विंटल रसगुल्ले तैयार किए जाते हैं. इस स्वाद की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन रसगुल्लों पर गाने तक बनाए जा चुके हैं.

कैसे बनते हैं रसगुल्ले?
रोहट के रसगुल्ले बनाने की प्रक्रिया भी खास है. सबसे पहले गाय का ताजा दूध गर्म किया जाता है. फिर इसमें नमकीन पानी डाला जाता है, जिससे दूध फटकर छेना तैयार हो जाता है. ठंडा होने पर छेने की छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं. इन गोलियों को उबलती चाशनी में डाला जाता है और तय समय तक पकाया जाता है. कभी ठंडा और कभी गर्म पानी डालकर इन्हें और स्पंजी बनाया जाता है. छेने की यह गोलियां डबल आकार में फूलकर रसगुल्ला बन जाती हैं, जिन्हें बाद में चाशनी में भिगोकर रखा जाता है.

कचौरी के बाद रसगुल्ले बने पहचान
रोहट पहले अपनी कचोरी के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यहां के रसगुल्लों ने नई पहचान दिलाई है. बड़ी संख्या में लोग इस कारोबार से जुड़े हैं और हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. मुलायमपन और स्वाद ही इन रसगुल्लों की असली ताकत है. इन्हें बनाने में विशेष किस्म के दूध का इस्तेमाल किया जाता है, जो इनकी मिठास और लोकप्रियता का राज है.

निखिल वर्मा

एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें

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Recipe: मुंह में रखते ही घुल जाने वाले रोहट के रसगुल्ले, राजस्थान की नई पहचान


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