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Doodh-Chawal Recipe: दूध और चालव से बनने वाली एक खास मिठाई झारखंड में खासा प्रसिद्ध है. आदिवासी समुदाय के लोग उत्सवी मौकों पर इसे जरूर परोसते हैं. इसे बनाने में एक हिस्सा चालव तो दो हिस्सा दूध का इस्तेमाल होता है. सुगंध के लिए इलायची डालते हैं. फिर चीनी की चाशनी से मिठास घोली जाती है.
नवरात्रि का पर्व चल रहा है. माता के आगमन के साथ ही झारखंड में कई तरह के पारंपरिक व्यंजन पकाए जाते हैं. इस मौके पर दुधौरी मिठाई का भी विशेष महत्व होता है.
इस देसी मिठाई का न सिर्फ स्वाद लाजवाब होता है बल्कि इसकी अपनी सादगी और परंपरा के कारण घर-घर में लोग इसे खूब स्वाद के साथ खाते हैं. खासकर अगर कोई मेहमान आ जाए तो इस मिठाई से घर की शान बढ़ जाती है.
दुधौरी मिठाई बनाने की प्रक्रिया बेहद आसान है. रेसिपी साझा करती हुई आदिवासी महिला रवीना कछाप बताती है कि दुधौरी बनाने के लिए प्रमुख रूप से चावल और दूध की जरूरत होती है.
पकाने से पहले ही चावल को लगभग आधे घंटे तक पानी में रखकर फुलाया जाता है. इसमें एक हिस्सा चावल तो हिस्सा दूध का प्रयोग किया जाता है. दोनों का मिक्षण तैयार किया जाता है.
इस मिश्रण को धीमी आंच पर पकाया जाता है. 70 से 80 प्रतिशत पक जाने पर में इलायची और चीनी का प्रयोग किया जाता है. जिससे यह पूरा मिश्रण सुगंधित हो उठता है. इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है.
उन्होंने आगे बताया कि ठंडा होने के बाद इसे मिक्सर ग्राइंडर में या सिलबट्टी के ऊपर अच्छे तरीके से पीस लिया जाता है. फिर घी का प्रयोग कर इसे गोल-गोल या लेमचा मिठाई का आकार दिया जाता है. फिर गरम तेल में तला जाता है.
तली हुई दुधौरी को चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है, जिससे यह मिठास से भर जाती है. नवरात्रि में इसे अक्सर प्रसाद के रूप में भी देवी मां को अर्पित किया जाता है.
ग्रामीण इलाकों में दुधौरी मिठाई सिर्फ खाने की चीज नहीं, बल्कि एक परंपरा है. जो पीढ़ियों से चली आ रही है. नवरात्रि जैसे पावन अवसर पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. क्योंकि लोग मानते हैं कि दूध और चावल से बनी यह मिठाई शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है.
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