Khandwa News: कहावत है ‘जैसा अन्न वैसा मन’, लेकिन आयुर्वेद कहता है कि सिर्फ अन्न ही नहीं, बल्कि जिस बर्तन में भोजन किया जाए, उसका भी शरीर और मन दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. एक्सपर्ट आयुर्वेद के एमडी डॉक्टर शंकर प्रसाद वैश्य ने बताया कि आज के आधुनिक युग में स्टील, नॉनस्टिक और प्लास्टिक के बर्तनों ने पारंपरिक धातुओं की जगह ले ली है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार हर धातु का अपना अलग असर और औषधीय महत्व होता है. आइए जानते हैं कि मिट्टी से लेकर सोने तक के बर्तन हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करते हैं
मिट्टी के बर्तन सबसे पुराने और सबसे प्राकृतिक बर्तन माने जाते हैं. इनमें पकाया गया खाना अल्कलाइन होता है, जो शरीर के एसिड लेवल को संतुलित रखता है. मिट्टी के बर्तन में रखा पानी या खाना शरीर को ठंडक देता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद के अनुसार, मिट्टी में पकाया भोजन जीवनी शक्ति बढ़ाता है, स्वाद को बेहतर बनाता है और विषैले तत्वों को सोख लेता है. हालांकि, इन्हें बार-बार उपयोग से पहले अच्छे से सुखाना और साफ करना जरूरी है.
2. तांबे के बर्तन
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना एक प्राचीन भारतीय परंपरा है. तांबा शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है. इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को संक्रमणों से बचाते हैं.
रातभर तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह पीने से पाचन सुधरता है, त्वचा निखरती है और टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं. परंतु ध्यान रखें कि तांबे के बर्तन में दूध, दही, नींबू या खट्टे पदार्थ नहीं रखने चाहिए, क्योंकि ये रासायनिक प्रतिक्रिया कर सकते हैं.
3. पीतल के बर्तन
पीतल में जिंक और कॉपर दोनों तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. इन बर्तनों में खाना खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और त्वचा स्वस्थ रहती है. लेकिन एक बात ध्यान देने की है कि पीतल के बर्तनों को हमेशा टिन (रांगा) की परत चढ़ी हुई अवस्था में इस्तेमाल करना चाहिए, वरना ये विषैला असर डाल सकते हैं.
4. कांसे के बर्तन
आयुर्वेद के अनुसार, कांसा (ब्रॉन्ज) बर्तन सबसे उत्तम माने गए हैं. कांसे में खाना खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है. यह शरीर की टॉक्सिक एनर्जी को कम करता है, मन को शांत रखता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर करता है. कांसे के बर्तन में खट्टे पदार्थ नहीं रखने चाहिए, क्योंकि वे इसकी धातु को खराब कर सकते हैं.
5. चांदी के बर्तन
चांदी में एंटीबैक्टीरियल और कूलिंग गुण होते हैं, इसलिए इसे बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे सुरक्षित माना गया है. चांदी के बर्तन में खाना खाने या पानी पीने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है, इम्यूनिटी मजबूत होती है, और मानसिक शांति मिलती है. यह धातु तनाव कम करने और नींद सुधारने में भी मदद करती है.
6. सोने के बर्तन
सोना हमेशा से राजाओं और रईसों का धातु माना गया है, लेकिन आयुर्वेदिक दृष्टि से भी इसका अपना महत्व है. सोने के बर्तन में रखा भोजन शरीर में ऊर्जा, बल और तेज बढ़ाता है. यह हृदय को मजबूत करता है और मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है. हालांकि आज ये बर्तन महंगे हैं, लेकिन सोने की पत्तियों से बने टॉनिक या आयुर्वेदिक भस्म आज भी कई औषधियों में उपयोग होते हैं.
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