Agency:Bharat.one Madhya Pradesh
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Health Tips : अगर किसी व्यक्ति को मधुमक्खियां काट लें और समय से इलाज न मिल तो उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. अगर बहुत सारी मधुमक्खी ने काट लिया है, तो फिर बचाना और भी मुश्किल हो जाता है. कितने प्रकार की मधुमक…और पढ़ें
शहद बनातीं मधुमक्खियां
हाइलाइट्स
- मधुमक्खियों के काटने से जान का खतरा हो सकता है.
- रानी और श्रमिक मधुमक्खियों में जहर होता है.
- कुछ खास उपायों से बच सकते हैं आप.
छतरपुर. अगर किसी व्यक्ति को मधुमक्खियां काट लें और समय से इलाज न मिले तो उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. अगर बहुत सारी मधुमक्खियों ने काट लिया है, तो फिर बचाना और भी मुश्किल हो जाता है. शासकीय कॉलेज लवकुश नगर के जूलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सुनील कुमार चौरसिया Bharat.one से बातचीत में बताते हैं कि मधुमक्खियां कॉलोनी (मौनवंश) बनाकर रहती हैं. कॉलोनी की बात करें तो इसमें तीन प्रकार के मेंबर होते हैं. एक रानी मधुमक्खी होती है जिसे मादा मधुमक्खी के नाम से जानते हैं. दूसरी ड्रोन मधुमक्खी होती है जिसे नर मधुमक्खी के नाम से जानते हैं. तीसरी श्रमिक मधुमक्खी होती है.
प्रोफेसर सुनील बताते हैं कि शहद के छत्ते का निर्माण सिर्फ श्रमिक मधुमक्खी ही करती हैं. वहीं ड्रोन और रानी मधुमक्खी का कार्य मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाने का होता है. इन दोनों प्रकार की मधुमक्खियों का शहद छत्ता बनाने में कोई योगदान नहीं होता है.
साइज़ से पहचान सकते हैं मधुमक्खी
प्रोफेसर बताते हैं कि मधुमक्खियों को उनके साइज के अनुसार भी पहचान सकते हैं. समूह में सबसे बड़ा साइज रानी मधुमक्खी का होता है इसके बाद ड्रोन मधुमक्खी का होता है. फिर श्रमिक मधुमक्खी होती है. लेकिन सबसे ज्यादा संख्या श्रमिक मधुमक्खियों की होती है. जबकि एक छत्ते में रानी मधुमक्खी एक ही होती है.
इस मधुमक्खी में होता है जहर
प्रोफेसर बताते हैं कि ड्रोन या नर मधुमक्खी में जहर नहीं होता है, इसका काम रानी मधुमक्खी के साथ संभोग कर मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाना होता है. जबकि रानी मधुमक्खी अंडे देने के साथ ही काटने का काम भी करती है क्योंकि इसमें जहर होता है. वहीं श्रमिक मधुमक्खी में भी जहर होता है. इन मधुमक्खियों में फार्मिक एसिड नाम का जहर होता है. आपने देखा होगा कि जो शहद तोड़ने वाले लोग होते हैं उन्हें पता रहता है कि किन मधुमक्खी में जहर होता है और किनमें नहीं. इसलिए वह आसानी से शहद तोड़ लेते हैं.
प्रोफेसर सुनील कुमार बताते हैं कि मधुमक्खियां कभी भी जानबूझकर नहीं काटती हैं. ये मधुमक्खियां अपने बचाव के लिए ही काटती हैं. बता दें, हाल ही में लवकुश नगर के मुड़ेरी गांव के श्याम खेड़ा में देवस्थान पर अंतरराष्ट्रीय मौन साधना में शांति हवन यज्ञ के दौरान महोबा के 65 वर्षीय सुनील वियोगी की मधुमक्खियों के काटने से मौत हो गई थी.
Chhatarpur,Madhya Pradesh
January 28, 2025, 17:30 IST
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