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किस टेस्ट से लगाया जाता है किडनी स्टोन का पता? कम लोग ही जानते हैं सही टेक्निक, यूरोलॉजिस्ट से समझें

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What Tests Done To Confirm Kidney Stones: जब हमारी किडनी में कैल्शियम, ऑक्सलेट और यूरिड एसिड समेत कई तरह की चीजें जमा हो जाती हैं, तब यह स्टोन बन जाती हैं. जब शरीर में पानी की कमी हो जाए और शरीर के एक्स्ट्रा साल्ट पेशाब के रास्ते बाहर न निकल पाएं, तो इससे स्टोन का खतरा बढ़ जाता है. किडनी स्टोन की समस्या इन दिनों तेजी से बढ़ रही है. बड़ी संख्या में युवा किडनी स्टोन का शिकार हो रहे हैं. खास बात यह है कि लोगों को किडनी स्टोन का पता तब चलता है, जब उन्हें परेशानी होती है. ऐसे में सही समय पर टेस्ट करा लिया जाए, तो किडनी स्टोन को शुरुआत में ही डिटेक्ट किया जा सकता है और इसे बिना ऑपरेशन के पेशाब के रास्ते बाहर निकालने की कोशिश की जा सकती है. किडनी स्टोन डिटेक्ट करने वाले टेस्ट जान लेते हैं.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के वाइस चेयरमैन डॉ. अमरेंद्र पाठक ने Bharat.one को बताया कि किडनी स्टोन होने पर लोगों को पीठ या पेट में दर्द महसूस हो सकता है. कई बार किडनी स्टोन की वजह से पेशाब में खून आने लगता है और पेशाब करने में परेशानी होने लगती है. ये सभी संकेत दिखने पर सबसे पहले ब्लड और यूरिन टेस्ट कराया जाता है. पेशाब के टेस्ट में अगर कैल्शियम, ऑक्सलेट या यूरिक एसिड ज्यादा दिखता है, तो यह किडनी स्टोन का संकेत हो सकता है. इसके अलावा ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन बढ़ा हुआ आए, तो यह भी किडनी प्रॉब्लम का संकेत होता है.

यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि किडनी स्टोन कंफर्म कराने के लिए एक्स-रे का सहारा लिया जाता है. इसके जरिए स्टोन डिटेक्ट हो जाता है. हालांकि कई स्टोन एक्स-रे में नहीं दिखते हैं, उन मामलों में अल्ट्रासाउंड कराते हैं. अल्ट्रासाउंड किडनी स्टोन का पता लगाने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है. इसमें किडनी में मौजूद स्टोन का साइज और वह किस जगह पर है, इसका पता लग जाता है. आमतौर पर एक्सर-रे या अल्ट्रासाउंड के जरिए किडनी स्टोन डिटेक्ट किया जाता है. इसके अलावा कुछ मामलों में किडनी स्टोन का पता लगान के लिए सीटी स्कैन भी कराया जाता है.

एक्सपर्ट की मानें तो अधिकतर मामलों में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन के जरिए किडनी स्टोन का पता लगाया जाता है. हालांकि कॉम्प्लिकेटेड केसेज में इसके लिए MRI या एंडोस्कोपी भी कराई जाती है. एंडोस्कोपी में एक पतला ट्यूब मूत्राशय के माध्यम से डाला जाता है, जिससे स्टोन का पता लगाने में मदद मिलती है. हालांकि ऐसा सिर्फ क्रिटिकल मामलों में ही किया जाता है. कुल मिलाकर 4-5 तरीकों से न केवल स्टोन की पहचान होती है, बल्कि यह भी पता चलता है कि स्टोन का साइज क्या है और किस जगह पर अटका हुआ है. इसके आधार पर ही डॉक्टर ट्रीटमेंट प्लान तैयार करे हैं.

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