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क्या फ्रेंच फ्राइज और बर्गर से सिर्फ मोटापा नहीं, डिप्रेशन भी बढ़ सकता है?

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फ्रेंच फ्राइज और साथ में बर्गर खानें का मजा ही कुछ और होता है, ज्यादातर लोग इसे खाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या फ्रेंच फ्राइज और बर्गर जैसे फास्ट फूड के सेवन से मोटापा नहीं बल्की डिप्रेशन भी हो सकता है? जानिए-

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में फास्ट फूड जैसे फ्रेंच फ्राइज, बर्गर और पिज्जा हमारी डाइट का बड़ा हिस्सा बन गए हैं. ये खानें में तो बढ़िया लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सिर्फ वजन बढ़ाने वाले नहीं, बल्कि दिमागी सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं? रिसर्च बताती है कि इनका ज्यादा सेवन डिप्रेशन यानी अवसाद का खतरा भी बढ़ा सकता है. ये सिर्फ मोटापा नहीं, बल्कि उदासी, चिड़चिड़ापन और तनाव जैसी परेशानियां भी ला सकता है.

चीन और स्पेन में हुई रिसर्च

pumed में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन की Zhejiang University के अध्ययन में पाया गया कि फ्रेंच फ्राइज और बर्गर जैसी तली-भुनी चीजें खाने वालों में डिप्रेशन का खतरा 7% और एंग्जायटी का खतरा 12% तक बढ़ जाता है. इसी तरह स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लास पाल्मास डे ग्रैन कैनारिया में हुए एक शोध में भी यह साबित हुआ कि फास्ट फूड और बेकरी प्रोडक्ट्स का ज़्यादा सेवन करने वालों में डिप्रेशन का खतरा 51% तक अधिक होता है. दोनों रिसर्च बताती हैं कि इस तरह के फूड मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं.

तली-भुनी चीजों का दिमाग पर क्या असर होता है

तली-भुनी चीजों में बनने वाला अक्रिलमाइड (Acrylamide) और ट्रांस फैट दिमाग में सूजन (inflammation) बढ़ाते हैं और सेरोटोनिन जैसे मूड नियंत्रित करने वाले केमिकल्स को प्रभावित करते हैं. इससे तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है. यही बात Zhejiang University (चीन) और University of Las Palmas (स्पेन) की रिसर्च में भी साबित हुई है.

कैसे जंक-फूड डिप्रेशन पैदा करता है?

रिसर्च के अनुसरा जंक फूड जैसे बर्गर, फ्रेंच फ्राइज और पिज्जा हमारे दिमाग पर नकारात्मक असर डालते हैं. इनमें मौजूद ट्रांस फैट्स और अक्रिलमाइड मस्तिष्क में सूजन बढ़ाते हैं और सेरोटोनिन जैसे मूड नियंत्रित करने वाले रसायनों को प्रभावित करते हैं. साथ ही, इन फूड्स की ज्यादा शुगर और रिफाइंड कार्ब्स ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव लाते हैं, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ता है. जंक फूड आंतों की सेहत और “गट-ब्रेन कनेक्शन” को भी बिगाड़ देता है, जिससे डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ सकता है.

भारत में कितने लोग डिप्रेशन के शिकार हैं?

रिसर्च के मुताबिक, भारत में डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. Indian Journal of Psychiatry (2023) के अनुसार, देश में करीब 12% लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. वहीं PubMed (2024) की एक स्टडी बताती है कि 45 साल से ऊपर के 8.6% भारतीय डिप्रेशन के शिकार हैं, और Indian Journal of Medical Research (2024) के मुताबिक, आदिवासी समुदायों में यह दर 25% तक पहुंच चुकी है.

सुझाव:


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-can-french-fries-and-burgers-cause-depression-too-9810792.html

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