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ठंड की पहाड़ी ‘संजीवनी’ है ये सब्जी…कैंसर, गठिया, BP के लिए फायदेमंद! ऐसे करें इस्तेमाल – Uttarakhand News

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Benefits Of Eating Gathi : आयुर्वेद के अनुसार गेठी कई बिमारियों का रामबाण इलाज है. गेठी में कॉपर, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीज जैसे तत्व पाए जाते हैं. इसके सेवन से कैंसर और गठिया जैसी बिमारी से निजात मिलता है.

बागेश्वर: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मिलने वाली गेठी जिसे कई जगहों पर ‘गांठ गोभी ‘या ‘हिल टर्निप’ कहा जाता है. गेठी न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है, बल्कि अपने पोषण गुणों के कारण इसे सेहत के लिए वरदान माना जाता है. यह सब्जी खासतौर पर कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी जिलों जैसे बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा में उगाई जाती है. इसकी लोकप्रियता इस बात से झलकती है कि हर स्थानीय बाजार में सर्दियों की शुरुआत होते ही ताजी गेठी की महक उठने लगती है.

बागेश्वर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. ऐजल पटेल ने Bharat.one को बताया हैं कि पहाड़ी गेठी में विटामिन C, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, और एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ये सभी तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. नियमित रूप से गेठी का सेवन करने से शरीर को ठंड से बचाया जा सकता है. साथ ही यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है. गेठी में मौजूद फाइबर पाचन को दुरुस्त रखता है. साथ ही त्वचा में प्राकृतिक निखार लाता है.

इन बीमारियों के इलाज में कारगर
आयुर्वेद में इसे शीत ऋतु की सर्वश्रेष्ठ सब्जी माना जाता है. जो शरीर में गर्मी बनाए रखती है और सर्दी-जुकाम से बचाव करती है. गेठी स्वाद, पोषण और परंपरा तीनों के संगम वाली पहाड़ी सब्जी है. नियमित रूप से गेठी का सेवन करने से शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है. साथ ही यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर और पाचन समस्याओं को भी दूर करती है. यही कारण है कि आज भी उत्तराखंड के गांवों में यह सब्जी सर्दियों में खूब खाई जाती है. गेठी सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि पहाड़ की मिट्टी की खुशबू, परंपरा और स्वास्थ्य का प्रतीक है. क्योंकि सर्दियों के समय पर यह सब्जी आपको पहाड़ की हर थाली में मिलेगी.

शरीर को रखता है गर्म
गेठी न सिर्फ पोषक तत्वों का खजाना है, बल्कि पहाड़ की पारंपरिक जीवनशैली का हिस्सा भी है. पहाड़ी परिवारों में गेठी की सूखी भुजिया, रायता या सरसों के तेल में बनी सब्जी बनाई जाती है. बागेश्वर की गृहिणी गीता देवी बताती हैं कि हम गेठी को उबालकर उसमें थोड़ा नमक और नींबू डालकर सलाद के रूप में भी खाते हैं. यह बहुत स्वादिष्ट लगती है और शरीर को गर्म रखती है. गेठी की खेती भी काफी आसान मानी जाती है. इसे ठंडे मौसम में बहुत कम मेहनत से उगाया जा सकता है.

कब होती है गेठी की खेती?
पहाड़ के खेतों में अक्टूबर से दिसंबर तक इसकी बुवाई होती है होती है, और जनवरी-फरवरी में इसकी फसल तैयार हो जाती है. कांडा क्षेत्र के किसान प्रकाश टम्टा का कहना है कि गेठी ऐसी फसल है जो ज्यादा पानी या रासायनिक खाद नहीं मांगती है. जैविक तरीके से उगाने पर इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट होता है.

मृत्‍युंजय बघेल

मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ें

मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु… और पढ़ें

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