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नवरात्रि में संभलकर खाएं केला, जल्दी पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल! खरीदने से पहले ऐसे पहचानें

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खरगोन. शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. फलों के दाम में भी बढ़ने लगे हैं. खासकर केले ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ना शुरू कर दिया है. कई जगहों पर दाम में दोगुने की वृद्धि देखी जा रही है. सिर्फ नवरात्रि ही नहीं, सनातन धर्म में होने वाले अनेकों व्रत-त्योहार में केले का सेवन बढ़ जाता है, क्योंकि इसे पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है. लेकिन, अगर इसी केले में केमिकल मिला हो तब क्या होगा?

यह मामला इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि व्रत में केला न केवल ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, बल्कि इससे लोगों की आस्था भी जुड़ी होती है. अक्सर व्रत-त्योहारों में केले की डिमांड को पूरी करने के लिए कुछ जगहों पर इसे जल्दी पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. मध्य प्रदेश में खरगोन के फल व्यापारियों से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने केले को पकाने की विधि और केमिकल वाले केले की पहचान का सही तरीका बताया.

क्या केमिकल से पकाते हैं केला?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए 20 साल के अनुभव वाले खरगोन के फल व्यापारी दीपक वर्मा से Bharat.one ने बात की. उन्होंने बताया कि पेड़ से कटने के बाद केले को पूरी तरह पकने में करीब 7 से 8 दिन का समय लगता है. इस दौरान केले को किसी भी तरह के केमिकल से नहीं पकाया जाता है, बल्कि इसे प्राकृतिक तरीके से ही पकने दिया जाता है. इसके लिए सबसे पहले केले को काटकर साफ पानी से धोया जाता है, फिर उन्हें पेपर में लपेटकर साफ जगह पर तीन-चार दिन तक रखा जाता है. इसके बाद, इन्हें गोडाउन से निकालकर एयर कंडीशनर (AC) वाले कमरे में रखा जाता है. AC की कूलिंग से केले का रंग धीरे-धीरे हरा से पीला हो जाता है और केला पक जाता है.

मिथेन गैस से पकाने की प्रक्रिया
दीपक वर्मा बताते हैं कि केले के रंग को जल्दी बदलने के लिए कुछ व्यापारी केले के बीच मिथेन गैस (कार्बेट) की पुड़िया रखते हैं. इससे केले में कड़कपन हटता है और नमी आती है. वह तेजी से पकते हैं. हालांकि, दीपक का कहना है कि यह तरीका सेहत के लिए सुरक्षित है, क्योंकि इसमें किसी हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता.

केमिकल से पके केले की पहचान
व्यापारी हिमांशु वर्मा के अनुसार, केमिकल से पके केले की पहचान करना भी आसान है. अगर आप केले के गुच्छे को हल्का हिलाएंगे तो केमिकल से पके केले खुद-ब-खुद टूटकर बिखरने लगते हैं. जबकि प्राकृतिक तरीके से पके केले हिलाने पर आसानी से नहीं टूटते. हालांकि, अगर केला बहुत ज्यादा पका या गल चुका है, तो वह स्वाभाविक रूप से भी गिर सकता है.

नवरात्रि में सावधानी जरूरी
बता दें कि नवरात्रि के दौरान फलों का सेवन करते समय यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि आप केमिकल से पके फलों का सेवन न करें. प्राकृतिक रूप से पके केले न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं, बल्कि व्रत की शुद्धता भी बनाए रखते हैं. इसलिए जब भी केले खरीदें, तो उनकी बनावट, रंग और मजबूती का ध्यान रखें, ताकि आप सही और सेहतमंद फल का सेवन कर सकें. हालांकि, फल व्यापारियों के मुताबिक, निमाड़ क्षेत्र में इस तरह के केले न के बराबर होते हैं. यहां प्राकृतिक तरीके से ही केले पकाए जाते हैं. फिर भी सावधानी रखना जरूरी है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य फल के जानकारों से बातचीत के आधार पर है. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.


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