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बिना खजूर के अधूरी है जामनगर की होली! जानिए इसके पीछे छिपा सेहत से जुड़ा गहरा राज

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Dates On Holi: होली और धुलेंडी के पर्व पर लोग धानी और खजूर खाते हैं. धानी और खजूर खाने के कई फायदे हैं. आयुर्वेदिक डॉक्टर ने धानी, ममरा और खजूर खाने के फायदे बताए हैं.

बिना खजूर के अधूरी है जामनगर की होली! जानिए इसके पीछे छिपा सेहत से जुड़ा राज

होली पर खजूर और धानी ममरा खाने के आयुर्वेदिक फायदे

हाइलाइट्स

  • जामनगर में होली पर खजूर और धानी की धूम.
  • आयुर्वेद के अनुसार खजूर कफ संतुलित करता है.
  • होली पर जामनगरवासी 100 टन खजूर खाते हैं.

जामनगर: होली और धुलेंडी के पर्व को लेकर बाजार में धानी, ममरा और खजूर की धूम मची हुई है. खजूर खाने के कई फायदे होने के कारण बड़ी संख्या में लोग खजूर खाते हैं. इस समय सर्दी विदा ले रही है और गर्मी का आगमन हो रहा है. इस मिश्रित ऋतु में कफ संबंधी रोगों में वृद्धि होती है. ऐसे में होली में खाई जाने वाली चीजें कफ संबंधी रोगों से राहत दिला सकती हैं. आइए जानते हैं आयुर्वेद की दृष्टि से खजूर और धानी ममरा खाने के फायदे.

जामनगर के बाजारों में खजूर की धूम
जामनगर में स्थित केंद्रीय आयुर्वेद संस्थान ITRA के असिस्टेंट प्रोफेसर विश्वदेश पारधी ने बताया कि मिश्रित ऋतु में सबसे ज्यादा बीमारियां फैलती हैं और इसमें बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं. होली का पारंपरिक महत्व तो है ही, साथ ही इसका शरीर संबंधी भी बहुत महत्व है क्योंकि होली में धानी, ममरा, खजूर आदि चीजें खूब खाई जाती हैं. धानी और ममरा जैसी चीजें गर्म प्रकृति की होती हैं, जो शरीर में कफ को संतुलित करने में मदद करती हैं. इसलिए होली में इन चीजों का सेवन किया जाता है.

इसके अलावा गाय के गोबर और लकड़ी से प्रज्वलित होलिका के चारों ओर लोग परिक्रमा करते हैं. इस परिक्रमा से शरीर को गर्मी मिलती है, जिससे शरीर में जमा कफ भी दूर हो सकता है. इसलिए होली का पारंपरिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है.

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खजूर खाने के आयुर्वेदिक लाभ
आयुर्वेद के अनुसार खजूर का स्वाद मीठा होता है, लेकिन यह पचने में थोड़ा भारी होता है. हालांकि पचने के बाद भी इसका असर मीठा ही रहता है. यह ठंडक देने वाली प्रकृति का होता है और यह बढ़े हुए वात (balancing Vata) और पित्त दोषों (Pitta doshas) को संतुलित करने में मदद करता है. इस समय जामनगर में होली और धुलेंडी के अवसर पर खजूर की धूम मची हुई है. खजूर की 20 से अधिक किस्में होती हैं, जिनमें से जामनगर में 5 किस्में बिकती हैं. जिनके बिना होली और धुलेंडी का उत्सव अधूरा है, ऐसे खजूर और धानी-दालिया का जामनगर की बाजार में आगमन हो गया है क्योंकि होली के पर्व पर वर्षों से खजूर और दालिया खाने की परंपरा है. एक अनुमान के अनुसार होली-धुलेंडी के त्योहार के दौरान जामनगरवासी 100 टन से अधिक खजूर का सेवन करते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.


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