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महंगा इलाज ले रहे लोग, प्राइवेट अस्पताल उठा रहे लाभ, आयुष्मान भारत योजना को लेकर खुलासाayushman bharat yojana report says people prefers to get treatment in private hospitals at higher cost with this scheme

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आयुष्मान भारत योजना को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट बताती है क‍ि अभी तक इस योजना के तहत 9 करोड़ से ज्यादा इलाज हुए हैं. इनमें से 52 फीसदी निजी अस्पतालों में हुए हैं. लोगों ने सबसे ज्यादा हेमोडायलिसिस और बुखार का इलाज कराया है.

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आयुष्‍मान भारत योजना से प्राइवेट अस्‍पतालों में सबसे ज्‍यादा इलाज.

Ayushman Bharat Scheme: आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज दिया जाता है. इसका इस्तेमाल कर लोग सरकारी या प्राइवेट किसी भी अस्पताल में निशुल्क इलाज करा सकते हैं. हालांकि अब इस योजना को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सरकारी अस्पतालों में भी इलाज कराने की सुविधा के बावजूद ज्यादातर लोग इस हेल्थ इंश्योरेंस का इस्तेमाल प्राइवेट अस्पतालों में कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि इन अस्पतालों में खर्च भी सरकारी अस्पतालों के मुकाबले ज्यादा होता है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि इस योजना के तहत स्वीकृत इलाजों में 50 फीसदी से ज्यादा इलाज निजी अस्पतालों में होते हैं और लाभार्थियों को मिलने वाले इलाज के खर्च का करीब दो-तिहाई हिस्सा भी निजी अस्पतालों को ही जाता है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले सात सालों में केंद्र सरकार की इस प्रमुख हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत नौ करोड़ से ज्यादा इलाज के मामले दर्ज हुए हैं जिनका कुल खर्च 1.29 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. योजना में कुल 31,005 अस्पताल पैनल में हैं, जिनमें से केवल 45 फीसदी अस्पताल ही प्राइवेट क्षेत्र के हैं, बाकी सरकारी हैं. इसके बावजूद योजना के तहत 9.19 करोड़ अस्पताल में भर्ती मामलों में से 52 फीसदी आईपीडी इलाज निजी अस्पतालों में हुए हैं.

इस बीमारी का हुआ सबसे ज्यादा इलाज
रिपोर्ट के अनुसार योजना के तहत लोगों ने सबसे ज्यादा हेमोडायलिसिस की सुविधा का लाभ उठाया है. यह किडनी फेल्योर के मरीजों को दिया जाने वाला इलाज है. इसमें मरीज के खून को डायलिसिस के माध्यम से साफ किया जाता है क्योंकि उसकी किडनी इस काम को अंजाम नहीं दे पाती हैं. इसके अलावा लोगों ने बेहद सामान्य बीमारियां जैसे बुखार आदि में भी इस इंश्योरेंस का फायदा लिया है. योजना शुरू होने के बाद से करीब 14 फीसदी इलाज हेमोडायलिसिस का ही हुआ है क्योंकि इस प्रक्रिया को सप्ताह में दो-तीन बार दोहराना पड़ता है, इसलिए इसकी संख्या ज्यादा है.

जबकि बुखार के 4 फीसदी, पेट की समस्या जैसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस के 3 फीसदी और जानवर के काटने के भी 3 फीसदी केसेज में इसका लाभ उठाया गया है. साल 2024-25 में सबसे ज्यादा इन तीन विभागों जनरल मेडिसिन, नेत्र चिकित्सा और सामान्य सर्जरी के क्षेत्र में हुआ है.

यूपी और पंजाब से बाहर जाते हैं मरीज
उत्तर प्रदेश और पंजाब ये दो राज्य हैं जहां से मरीज इलाज कराने के लिए बाहर के राज्यों में जाते हैं और यहां आते भी हैं. चूंकि इस योजना के तहत मरीज कहीं भी रहता है लेकिन किसी भी राज्य में इलाज कराने के लिए स्वतंत्र है ऐसे में इस सुविधा का अलग राज्यों में बेहतर तरीके से लाभ लिया गया है. रिपोर्ट कहती है कि योजना की शुरुआत से मार्च 2025 तक सबसे ज्यादा मरीज चंडीगढ़ में इलाज के लिए आए हैं. यह 19 फीसदी है. वहीं उत्तर प्रदेश से 13 फीसदी , गुजरात 11 फीसदी, उत्तराखंड 8 प्रतिशत और पंजाब भी 8 है. बता दें कि यह योजना साल 2018 में शुरू हुई थी.

priya gautamSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्… और पढ़ें

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