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महंगा लेकिन सेफ हो जाएगा दांतों का इलाज? कैविटी फिलिंग को लेकर हो रहा बड़ा बदलाव

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इस से दांतों की फिलिंग में पारे का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो जाएगा. यह फैसला 147 देशों ने लिया है जिसमें जिनमें भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ आदि शामिल हैं.

क्यों होता है मर्करी अमलगम का इस्तेमाल

डेंटल अमलगम एक मिश्रित धातु सामग्री है, जिसमें मर्करी (मर्करी), चांदी, टिन और तांबा जैसी धातुएं शामिल होती हैं. इसका इस्तेमाल दांतों में सड़न (कैविटी) के कारण होने वाले छेद को भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लगभग 150 सालों से डेंटिस्टों इसे इस्तेमाल करते हैं. दावा है कि यह अत्यधिक टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाली होती है. अमलगम फिलिंग्स रेजिन कम्पोजिट फिलिंग्स की तुलना में अधिक समय तक चलती है.

यशोदा अस्पताल में डेंटिस्ट डा. अनमोल अग्रवाल ने बताया है कि मर्करी डेंटल फिलिंग्स के इस्तेमाल को कम किया गया है, हेल्थ रिस्क एंड टॉक्सिसिटी की वजह से डॉक्टर ऐसा करने से बचते हैं. उसकी जगह कम्पोजिट, ग्लास आयनोम्वर जैसे मैटीरियल्स का इस्तेमाल किया जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मर्करी प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है. मर्करी एक न्यूरोटॉक्सिन है, जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है. इसे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और भ्रूण को नुकसानदायाक माना जाता है. डेंटल अमलगम से मर्करी पर्यावरण में रिसता है. यह बाद में वाटर-रिसोर्स और फूड-चेन में शामिल हो जाता है.

बढ़ सकता है इलाज का बोझ?

साइंस अलर्ट से वैश्विक डेंटल प्रैक्टिस में क्रांति के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि अमलगम सस्ता लेकिन विषैला था. विशेषज्ञों ने इसे पर्यावरणीय न्याय की जीत कहा है. डा. अनमोल अग्रवाल ने बताया, फिलिंग का कितना समय चलेगा ये पेशेंट की डाइट एंड मेंटेनेंस पर निर्भर करता है. मर्करी डेंटल फिलिंग्स आमतौर पर कम्पोजिट के मुकाबले सस्ता होता है. लेकिन हम अपने पेशेंट का मर्करी फिलिंग से ट्रीटमेंट नहीं करते हैं. 

क्या है मिनामाता कन्वेंशन ?

मिनामाता कन्वेंशन पारे के मानव-निर्मित उत्सर्जन और रिसाव से स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाने के लिए एक वैश्विक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है. इसका नाम जापान के मिनामाता बे से लिया गया है. यहां 1950-60 के दशक में मर्करी प्रदूषण से हजारों लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के शिकार हुए थे. संधि का उद्देश्य पारे को पूरी तरह कंट्रोल करना है. डेंटल अमलगम इसमें शामिल एकमात्र मर्करी-युक्त सामग्री है. इस साल के सम्मेलन में कुल 21 फैसले लिये गए हैं, जो पारे के इस्तेमाल को रोकते हैं.

फैसले का हो रहा स्वागत

यूरोपीय संघ पर्यावरण आयोग ने इस फैसले को “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए मील का पत्थर” बताया गया है. यह पारे के मानव संपर्क को कम करेगा.

हेल्थ पॉलिसी वॉच के अनुसार, 2034 तक पारे की इस्तेमाल की समाप्ति से डेंटिस्ट्री में मर्करी-फ्री विकल्पों का उपयोग बढ़ेगा. हांलाकि विकासशील देशों में लागत में बढ़ोतरी एक चुनौती होगी.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-dental-treatment-become-more-expensive-but-safer-mercury-cavity-fillings-free-sjn-9847427.html

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