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लड़कों से ज्यादा लड़कियों को होता है यूटीआई! आपका बच्चा स्कूल में तो नहीं कर रहा यह गलती!

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महिलाओं में यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के मामले अक्सर सामने आते हैं. हालांकि यह बीमारी पुरुषों को भी होती है लेकिन ऐसे केसेज कम ही आते हैं. महिलाओं की तरह आजकल छोटी बच्चियां भी इस बीमारी का शिकार हो रही हैं. छोटे बच्चे अक्सर बता भी नहीं पाते कि उन्हें क्या हो रहा है. ऐसे में उन्हें सफाई के बारे में समझाना बेहद जरूरी है. अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज ना हो तो समस्या गंभीर भी हो सकती है. 

3 से 8 साल की बच्चियों में ज्यादा मामले
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन विभाग में डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के मामले अधिकतर 3 से 8 साल की उम्र के बच्चों में सामने आते हैं. लड़कों के मुकाबले लड़कियों को यह इंफेक्शन ज्यादा होता है. दरअसल लड़कियों के शरीर में यूरेथ्रा लड़कों के मुकाबले काफी छोटा होता है. यह एक नली होती है जिससे यूरिन शरीर से बाहर निकलता है. ऐसे में बैक्टीरिया महिलाओं के शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकता है.

क्यों होती है यह दिक्कत
यूरिन इंफेक्शन का सबसे बड़ा कारण है गंदगी. बच्चों का प्राइवेट पार्ट साफ-सुथरा होना चाहिए. अगर बच्चे यूरिन को रोकते हैं, गंदे अंडरगारमेंट पहनते हैं या गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं तो यूटीआई का खतरा बढ़ सकता है. बच्चों को हाइजीन की ज्यादा समझ नहीं होती इसलिए पैरेंट्स को उन्हें समझाना चाहिए कि कैसे सफाई रखें.

बच्चों को दिन में डेढ़ से 2 लीटर पानी पिलाना जरूरी है (Image-Canva)

यूटीआई 2 तरह के होते हैं
अमेरिकन यूरोलॉजिकल असोसिएशन के अनुसार आमतौर पर यूरिन में कोई बैक्टीरिया नहीं होता लेकिन त्वचा और रेक्टल एरिया में कई बैक्टीरिया होते हैं. जब बैक्टीरिया यूरेथ्रा से ब्लैडर में प्रवेश कर जाते हैं तो यह तेजी से बढ़ते है जिससे इंफेक्शन हो जाता है. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन दो तरह के होते हैं-ब्लैडर इंफेक्शन और किडनी इंफेक्शन. जब इंफेक्शन ब्लैडर में हो तो उसमें दर्द और सूजन हो जाती है. इसे सिस्टिटिस कहते हैं. अगर बैक्टीरिया ब्लैडर के जरिए यूरेटर से किडनी में प्रवेश कर जाए तो इसे पायलोनेफ्राइटिस कहते हैं. यह स्थिति सिस्टिटिस से ज्यादा खतरनाक होती है.

बच्चे नहीं बता पाते दिक्कत
बच्चे इंफेक्शन के बारे में नहीं पता पाते. लेकिन अगर वह यूरिन करने के दौरान रोने लगे या उन्हें जलन हो तो समझ जाना चाहिए कि वह यूटीआई के शिकार हैं. इस बीमारी में प्राइवेट पार्ट में जलन होने के साथ ही बहुत दर्द होता है. बच्चे को तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, पेट में दर्द या ठंड लगने लग सकती है. कई बार यूरिन में खून भी आने लगता है. अगर इस बीमारी का सही समय पर पता नहीं चल पाता तो यह किडनी को खराब कर सकता है.   

बच्चे लंबे समय तक यूरिन ना रोकें
अगर लंबे समय तक यूरिन रोका जाए तो ब्लैडर की मसल्स कमजोर होने लगती हैं जिससे किडनी में सूजन आने लगती है. वहीं अगर शरीर में यूरिन रोककर रखा जाए तो उसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं. इसलिए जब भी यूरिन आए, उसे कर लेना चाहिए. 

स्कूल के गंदे टॉयलेट से बचें
यूरिन इंफेक्शन का सबसे मुख्य कारण गंदे टॉयलेट भी हैं. ऐसे टॉयलेट बैक्टीरिया का घर होते हैं. इंडियन टॉयलेट की बजाय इंग्लिश टॉयलेट से यूटीआई का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है. हर पैरेंट को अपने बच्चे को समझाना चाहिए कि अगर वह स्कूल में गंदा टॉयलेट देखें तो तुरंत टीचर को बताएं और उसकी सफाई कराने को कहें. बच्चों को गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल ना करने की सीख दें. इससे काफी हद तक बच्चा यूटीआई से बच सकता है.

टॉयलेट का इस्तेमाल करने से पहले उसकी सीट पेपर टिश्यू से साफ करें (Image-Canva)

मां दे बेटियों पर ध्यान
हर मां को अपनी बेटी को प्राइवेट पार्ट की हाइजीन के बारे में समझाना चाहिए. लड़कों के लिए भी यह बहुत जरूरी है. बच्चों के अंडर गारमेंट टाइट नहीं होने चाहिए. उन्हें रोज साफ अंडरगारमेंट पहनाएं. अगर वह 2 या 3 दिन से ज्यादा एक ही अंडर गारमेंट पहनेंगे तो उसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा रहता है. हर बार यूरिन करने के बाद प्राइवेट पार्ट को पानी से धोना जरूरी है, यह बात बच्चों को बचपन से ही बताएं. आज कल बच्चियों को पीरियड्स कम उम्र में शुरू हो जाते हैं. उन्हें इस दौरान सफाई रखने के बारे में भी बताएं. 

पानी पीना जरूरी है
अमेरिकन यूरोलॉजिकल असोसिएशन और यूरोलॉजी केयर फाउंडेशन के अनुसार हर 100 में से 8 बच्चियां और हर 100 में से 2 लड़के यूटीआई का शिकार होते हैं. इस इंफेक्शन से बड़ों के मुकाबले बच्चों की किडनी जल्दी डैमेज होने का खतरा रहता है. यूरिनरी ट्रैक्ट शरीर का अंग होता है जहां यूरिन बनता है, स्टोर होता है और बाहर निकलता है. यह किडनी में होता है जो ब्लैडर के जरिए यूरेटर्स में पहुंचता है. एक व्यस्क की किडनी में एक दिन में डेढ़ लीटर यूरिन बनता है. बच्चों में इसकी मात्रा कम होती है लेकिन बच्चों का ब्लैडर 29 मिलीलीटर तक यूरिन होल्ड कर सकता है. अगर इसमें बैक्टीरिया पनपने लगे तो दिक्कत बढ़ जाती है. यूटीआई से बचने के लिए बच्चों को खूब सारा पानी पिलाना जरूरी है. इससे किडनी साफ होती रहती है. 


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/parenting-why-urinary-tract-infection-is-common-in-kids-nowadays-how-parents-can-teach-them-about-hygiene-8892186.html

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