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सर्दियों में पानी पीना सेहत के लिए बेहज जरूरी होता है. इसके साथ ही पानी पीने के लिए लोग बोतल का खास ध्यान रखते हैं. कुछ लोग पानी पीने के लिए तांबे की बोतल इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ पीतल की. लेकिन क्या आप पता हैं कि दोनों में पानी पीने से क्या फायदेमंद होता है.
पीतल कोई खास धातु नहीं है, बल्कि यह तांबा और जिंक का मिश्रण है. इसलिए पीतल के बर्तन में रखा पानी अपने आप तांबे के गुण ले लेता है. सर्दियों में जब शरीर को सही तापमान और साफ पानी चाहिए होता है, तब तांबे के साथ मिला पीतल बहुत फायदेमंद माना जाता है. यह पानी ज्यादा ठंडा नहीं होता और न ही शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. यह पारंपरिक रूप से सुरक्षित और सेहतमंद माना जाता है.
तांबे में पानी को शुद्ध करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. वहीं पीतल पानी को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है. दोनों का मिश्रण सर्दियों में पानी को ठंडा या खराब होने से बचाता है. यही संतुलन इसे खास बनाता है. इसी वजह से पीतल के बर्तन पुराने समय से इस्तेमाल हो रहे हैं. बदलते मौसम में इस पानी को शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है.
तांबा पाचन तंत्र को एक्टिव करता है. पीतल शरीर के अंदर गर्मी बनाए रखता है. सर्दियों में जब कब्ज और गैस की समस्या बढ़ जाती है, तब पीतल के बर्तन में रखा तांबे के साथ मिला पानी पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है. यह खाने को सही तरीके से पचाने में मदद करता है. पेट में भारीपन की समस्या को कम करता है. इसे नियमित रूप से लेने से पाचन तंत्र संतुलित रहता है.
ऐसा माना जाता है कि तांबा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. जब तांबे को पीतल के बर्तन में पानी के साथ मिलाया जाता है तो यह सर्दियों में वायरल इंफेक्शन और सर्दी-जुकाम से बचाने में मदद करता है. इसलिए बुजुर्ग लोग इस पानी पर भरोसा करते हैं. यह सर्दियों में शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है और मौसमी बीमारियों के खतरे को कम करता है.
आयुर्वेद में तांबे को शुद्धता का और पीतल को संतुलन का प्रतीक माना जाता है. तांबा शरीर के दोषों को कंट्रोल करता है और पीतल शरीर को स्थिरता देता है. इन दोनों का मिलाजुला असर सर्दियों में शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है. इस पानी से शरीर में गर्मी बनी रहती है और मौसम बदलने पर भी सेहत अच्छी रहती है. इसी वजह से ये परंपरा आज भी कई घरों में चल रही है.
आजकल स्टील और प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ गया है, लेकिन लोग सर्दियों में फिर से तांबे और पीतल के बर्तनों की तरफ लौट रहे हैं. ये परंपरा अब सिर्फ एक विश्वास नहीं है, बल्कि सेहत को लेकर जागरूकता भी है. लोग अब नेचुरल और केमिकल-फ्री चीजों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं. इसी वजह से सर्दियों में हर घर में पीतल और तांबे के पानी की डिमांड बढ़ जाती है.
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Rajvant Prajapati
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