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Cloud Seeding: दिल्ली में कृत्रिम बारिश! क्या यह पानी आपकी सेहत को पहुंचाएगा नुकसान? एक्सपर्ट से जानें हर सवाल का जवाब delhi is ready for cloud seeding is artificial rain water harmful for health imd former dgm kj ramesh gives details on kritrim barish

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Cloud Seeding in Delhi: दिल्ली में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए कृत्रिम बारिश की जा रही है. सेसना प्लेन के माध्यम से आज क्लाउड सीडिंग का ट्रायल हो चुका है.उम्मीद जताई जा रही है कि 15 मिनट से 4 घंटे के अंदर कभी भी बारिश हो सकती है. फिलहाल उत्तरी करोल बाग, खेकड़ा मयूर विहार और सादिकपुर में क्लाउंड सीडिंग की गई है. अगले कई दिनों तक ये इसी तरह से शॉर्टी चलती रहेगी. वैसे आर्टिफिशियल बारिश के लिए बुधवार का दिन तय था लेकिन बादलों की स्थिति को देखते हुए यह ट्रायल आज ही कर दिया गया. हालांकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कुछ ही घंटों में झमाझम बरसने वाली इस कृत्रिम बारिश का पानी सेहत को नुकसान पहुंचाएगा? भारतीय मौसम विभाग के पूर्व डीजीएम के जे रमेश से जानते हैं हर सवाल का बेहद सरल भाषा जवाब….

सवाल- कृत्रिम बारिश क्या होती है?
जवाब- बारिश एक प्राकृतिक क्रिया है. जब बादलों में नमी बढ़ जाती है तो वह बूंदों में बदलकर जमीन पर बरस जाती है, लेकिन कृत्रिम बारिश पहले से मौजूद बादल को बड़ा करने की कोशिश है. जब बादलों में पानी होने के बावजूद बारिश नहीं होती तो तकनीक का सहारा लेकर बादलों में रासायनिक क्रिया के द्वारा नमी को बर्फ के टुकड़ों या पानी की बूंदों में बदल दिया जाता है, ताकि ये जमीन पर बरस जाएं, यही क्रिया कृत्रिम बारिश कहलाती है.
सवाल- क्लाउड सीडिंग क्यों और कैसे कराई जाती है? पूरा प्रोसेस समझाएं.
जवाब- बादल नमी से बनता है लेकिन इसे बरसने के लिए क्लाउड कंडेंशेसन न्यूक्लीई प्रक्रिया जरूरी है जिससे बूंदें बनती हैं. अगर बादल के आसपास पर्याप्त नमी है लेकिन वह बड़ा नहीं हो रहा है और बरसने के लिए तैयार नहीं हो पा रहा है तो समझा जाता है कि बादल के डॉपलेट फॉर्मेशन यानि बूंदों में टूटने में कुछ कमी आ रही है, ऐसी स्थिति में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से उसे बड़ा किया जाता है. इसके लिए जमीन पर मौजूद ऑपरेशनल टीम रडार या सेटेलाइट के माध्यम से सबसे पहले यह देखती है कि बादल आसपास है या नहीं? हवा के माध्यम से आगे बढ़ रहे बादल का साइज क्या है? बादल किस तरफ से आ रहे हैं और किस तरफ बढ़ रहे हैं? जब ये सभी चीजें साफ हो जाती हैं तो मान लीजिए दिल्ली में बारिश करानी है तो बादल के यहां पहुंचने से पहले ही उसमें सिल्वर आयोडाइड को इंजेक्ट कर दिया जाता है, जो वहां बूंदों के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं और बादल बरस जाते हैं.

सवाल- क्या बादलों तक पानी भी पहुंचाया जाता है?
जवाब- नहीं. कृत्रिम बारिश में बादलों तक पानी नहीं पहुंचाया जाता. बल्कि बादलों के पास पर्याप्त नमी होती है.

सवाल- क्या बिना बादलों के भी हो सकती है क्लाउड सीडिंग?
जवाब- नहीं. कृत्रिम बारिश बिना बादलों के संभव नहीं है. बादल होंगे तभी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है. अभी ऐसी कोई तकनीक नहीं आई है कि वह बादलों का सृजन कर सके.आर्टिफिशियल बारिश की तरह नकली बादल नहीं बनाए जा सकते हैं.

सवाल- क्या एक बार में पूरी दिल्ली में बारिश संभव है?
जवाब- चूंकि यह प्रक्रिया बादलों पर निर्भर है तो जिस तरफ से बादल हवा के साथ बहते हुए आएंगे उस तरफ ही क्लाउड सीडिंग कराई जा सकती है. इसके लिए टार्गेटेड कोशिश करनी होती है.

सवाल- क्या बादलों को अपने अनुसार मूव कराया जा सकता है?
जवाब- बादलों की दिशा या गति को नहीं बदला जा सकता है. यह हवा पर निर्भर करता है कि वह किधर बह रही है और कितने बादलों को बहाकर ला रही है. सिर्फ दिल्ली की तरफ बढ़ने वाले बादलों से ही आर्टिफिशियल रेन कराई जा सकती है.

सवाल- क्या कृत्रिम बारिश का पानी सेहत के लिए खराब होता है?
जवाब- नहीं. कृत्रिम बारिश का पानी कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. कई रिसर्च और जांचें हो चुकी हैं. पानी में सिल्वर आयोडाइड मिला होता है लेकिन इसका सेहत पर कोई खराब असर नहीं है.इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

सवाल- कृत्रिम बारिश कितनी सफल रही है अभी तक?
जवाब- अभी तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू आदि राज्यों में ये की गई है और इसके नतीजे अच्छे हैं. ग्लोबल और भारतीय स्टडी बताती हैं कि कृत्रिम बारिश से 15 से 20 फीसदी तक बारिश के स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

सवाल- इसमें कितना खर्च आता है?
जवाब- यह निर्भर करता है कि इसके लिए कितनी टीमें और विमान लगे हैं और कितने बादलों से कितने बड़े इलाके में बारिश करानी है.

सवाल- इन बादलों को जहां चाहे वहां बरसा सकते हैं लेकिन इसके आगे के इलाकों को क्या नुकसान होगा?
जवाब- हां कृत्रिम बारिश में बढ़ते हुए बादलों को रोककर मनचाही जगह पर बरसा सकते हैं लेकिन इसके बाद के क्षेत्र में बारिश निश्चित रूप से कम होगी. हालांकि यह फ्रीक्वेंट नहीं है और जहां ज्यादा जरूरत है वहां की जा रही है तो बहुत नुकसान नहीं है.

सवाल- प्रदूषण पर क्या पड़ेगा असर?
जवाब- बारिश से प्रदूषक तत्व नीचे आ जाएंगे लेकिन अगर ये सिर्फ कुछ ही इलाकों में की जाती है तो वहां प्रदूषण कम होगा लेकिन बाकी जगहों पर स्थिति सामान्य रहेगी.


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