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Faridabad News: आंसू हमारे शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया हैं, जो खुशी, दुख या दर्द जैसी भावनाओं में बहते हैं. वैज्ञानिकों ने इन्हें तीन प्रकारों में बांटा है.
जब हम खुश या किसी तकलीफ में होते हैं, तो आंखों से आंसू बहने लगते हैं. यह शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है. खुशी या दर्द, दोनों ही भावनाओं में हमारे दिमाग और आंखों का संपर्क इस प्रक्रिया को प्रेरित करता है.
वैज्ञानिकों ने आंसू को तीन प्रकारों में बांटा है. पहला बेसल, दूसरा नॉन-इमोशनल और तीसरा क्राइंग आंसू. ये श्रेणियां अलग-अलग कारणों और उद्देश्यों से उत्पन्न होती हैं. हर प्रकार का आंसू हमारी आंखों और शरीर के लिए महत्वपूर्ण है.
बेसल आंसू नॉन-इमोशनल होते हैं. ये आंखों को सूखने से बचाते हैं और लुब्रिकेट रखते हैं. इनमें लगभग 98% पानी होता है. इस प्रकार के आंसू हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं और उन्हें नरम व साफ बनाए रखते हैं.
नॉन-इमोशनल आंसू किसी खास कारण से आते हैं. जैसे प्याज काटना, धूल या मिट्टी आंखों में जाना. ये प्रतिक्रिया हमारी आंखों को नुकसान से बचाती है. यह शरीर का एक सुरक्षा तंत्र है जो बाहरी हानिकारक तत्वों को दूर करता है.
क्राइंग आंसू भावनात्मक होते हैं. ये दुख, खुशी, दर्द या किसी अनुभव की तीव्र भावना के कारण निकलते हैं. ये हमारे अंदर की भावनाओं का बाहरी रूप हैं और हमारी मानसिक स्थिति को व्यक्त करने में मदद करते हैं.
हमारे दिमाग का लिंबिक सिस्टम और हाइपोथैलेमस नर्वस सिस्टम के साथ जुड़ा होता है. जब भावनाएं चरम पर होती हैं न्यूरोट्रांसमीटर संकेत भेजते हैं. इसके कारण आंखों से क्राइंग आंसू बहने लगते हैं, जो भावना के प्रकटीकरण का संकेत हैं.
रोना सिर्फ भावनाओं को व्यक्त नहीं करता. इसमें मेंटल हेल्थ को सुधारने की शक्ति भी होती है. आंसू आंखों को लुब्रिकेट रखते हैं, जबकि भावनात्मक आंसू स्ट्रेस और तनाव को कम करते हैं, जिससे मानसिक स्थिति बेहतर बनी रहती है.
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