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Harvard Vaccine for Implant Patients: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बायोमैटेरियल-बेस्ड वैक्सीन डेवलप की है, जो घुटने या कूल्हे के इम्प्लांट कराने वाले मरीजों को गंभीर इंफेक्शन से बचा सकती है. यह वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को एक्टिव करती है और इंफेक्शन फैलाने वाले खतरनाक बैक्टीरिया से बचाती है. भविष्य में यह तकनीक पर्सनलाइज्ड वैक्सीन के रूप में भी इस्तेमाल की जा सकेगी, जिससे सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा खत्म हो सकता है.
Harvard’s Innovative Vaccine News: जब किसी व्यक्ति के घुटने या कूल्हे में इम्प्लांट लगाया जाता है, तो सर्जरी के बाद इंफेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा होता है. ये इंफेक्शन काफी खतरनाक होते हैं और कई बार लोगों के लिए जी का जंजाल बन जाते हैं. यही वजह है कि घुटने और हिप की इम्प्लांट सर्जरी के बाद मरीजों को बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. हालांकि हार्वर्ड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है, जो लोगों को घुटने और हिप इम्प्लांट के बाद होने वाले इंफेक्शन से बचा सकती है. यह वैक्सीन इम्प्लांट से जुड़े खतरनाक बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचा सकती है. यह खोज मेडिकल साइंस में बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि इम्प्लांट के बाद संक्रमण होने पर मरीजों को दोबारा सर्जरी या लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ती हैं. इंफेक्शन के गंभीर मामलों में अंग काटना भी पड़ता है. यह वैक्सीन इन सभी समस्याओं से बचा सकती है.
नई वैक्सीन से कैसे मिलेगी सुरक्षा?
हार्वर्ड और विस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक बायोडिग्रेडेबल वैक्सीन तैयार की है. इसमें विशेष प्रकार के इम्यून-मॉलिक्यूल्स और S. aureus के एंटीजन शामिल किए गए हैं, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को एक्टिव करते हैं. जब इस वैक्सीन को चूहों पर आजमाया गया, तो यह पाया गया कि इससे 100 गुना बेहतर बैक्टीरिया-प्रतिरोधी प्रतिक्रिया मिली. आसान भाषा में कहें, तो संक्रमण का खतरा बहुत कम हुआ. यह वैक्सीन न केवल सामान्य बैक्टीरिया के खिलाफ, बल्कि एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट MRSA बैक्टीरिया से भी सुरक्षा प्रदान करती है. अब तक वैज्ञानिक S. aureus के खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन विकसित नहीं कर पाए थे, लेकिन इस बार बायोमटेरियल स्कैफोल्ड का इस्तेमाल करके वैक्सीन को शरीर में धीरे-धीरे काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह न केवल एंटीबॉडी के साथ T-सेल्स को भी एक्टिव करती है, जो संक्रमण से लड़ती हैं.
भविष्य में क्या है संभावनाएं?
वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में इस तकनीक की मदद से पर्सनलाइज्ड वैक्सीन भी बनाई जा सकेगी. ऑपरेशन से पहले मरीज के शरीर से लिए गए S. aureus बैक्टीरिया के नमूनों से कस्टमाइज्ड वैक्सीन तैयार की जा सकती है, जो इम्प्लांट से जुड़ी संक्रमण की संभावना को लगभग खत्म कर देगी. यह तकनीक उन लाखों मरीजों के लिए जीवनदायी साबित हो सकती है जो हर साल ऑर्थोपेडिक सर्जरी कराते हैं. अगर यह वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स में सफल रहती है, तो भविष्य में यह मेडिकल साइंस की सबसे बड़ी इन्फेक्शन-प्रोटेक्शन खोजों में से एक मानी जाएगी.
अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्…और पढ़ें
अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-harvard-scientists-develop-new-vaccine-to-protect-implant-patients-from-deadly-infections-know-details-9817446.html
