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How Blood Test detect Liver Damage 10 Years earlier | 10 साल पहले डैमेज लिवर का पता चल जाएगा

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Blood Test detect damage liver before 10 years: लिवर में चाहे कितनी भी खतरनाक बीमारी क्यों न हो, अब इसका पता एक सिंपल ब्लड टेस्ट से चल जाएगा.

लिवर कैंसर का भी पता 10 साल पहले चल जाएगा.

Blood test detect damage liver: लिवर की बीमारी ऐसी बीमारी है जिसका उपर से जल्दी पता ही नहीं चलता. अंदर ही अंदर लिवर सड़ता रहता है लेकिन इसका पता कई साल बाद चलता है. ऐसे में लिवर डैमेज होता जाता है और इसका गंभीर परिणाम भुगतना होता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने सिर्फ खून जांच से इसका पता करीब 10 साल पहले लगाने का दावा किया है. लिवर डैमेज के मुख्य रूप से ज्यादा मोटापा, शराब का सेवन और लिवर में चर्बी का जमा होना है. इसके लिए खराब लाइफस्टाइल को मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना जाता है. लिवर में जब लिवर सिरोसिस हो जाता है तो इसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है. ऐस में यदि सालों पहले लिवर डैमेज का पता चल जाए तो यह मेडिकल इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है.

कैसे काम करता है यह नया टेस्ट

टीओआई की खबर के मुताबिक कैरोलीन्स्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह ब्लड टेस्ट दरअसल खून की तीन बुनियादी जांचों पर आधारित है. इन तीन मापों से लिवर फंक्शन में होने वाले सूक्ष्म बदलावों का पता लगाया जा सकता है. खास बात यह है कि यह बदलाव लक्षण शुरू होने जैसे पीलिया, पेट में सूजन या खाने में अरुचि आने से कई साल पहले ही पकड़ लिए जाते हैं. इस टेस्ट को पहले ही प्राइमरी हेल्थकेयर में आज़माया जा चुका है और ट्रायल में यह सिरोसिस जैसे खतरनाक मामलों की पहचान करने में भी सफल रहा है. सिरोसिस वह अवस्था है जब लिवर में स्थायी रूप से घाव पड़ जाते हैं और यह कैंसर में बदल सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पारंपरिक FIB-4 पद्धति के मुकाबले यह नया टेस्ट कहीं ज्यादा कारगर है. जहां FIB-4 मुख्य रूप से उन लोगों में इस्तेमाल किया जाता है जिनमें पहले से लिवर रोग के खतरे के कारक मौजूद हों, वहीं नया टेस्ट आम जनता पर भी लागू किया जा सकता है. इसका मतलब है कि कोई भी सामान्य व्यक्ति, चाहे उसे शराब की लत में हो या नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हों, इस टेस्ट से लाभ उठा सकता है.

रिसर्च में मिले एकदम सटीक नतीजे

यह टेस्ट कितनी सटीकता से काम करता है, इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने हजारों लोगों पर लंबा अध्ययन किया. 1985 से 1996 के बीच स्टॉकहोम के 4.8 लाख से ज़्यादा लोगों का स्वास्थ्य डेटा जुटाया गया. फिर लगभग तीन दशकों तक इन प्रतिभागियों पर नज़र रखी गई. इस दौरान पाया गया कि करीब 1.5 प्रतिशत लोगों को गंभीर लिवर समस्याएं हुईं या लिवर ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा. इसके बाद शोधकर्ताओं ने एक भविष्यवाणी मॉडल बनाया जिसने 88 प्रतिशत मामलों में खतरे की सही पहचान कर दी. यानी जिन लोगों को आगे चलकर बीमारी हुई, उनमें से ज़्यादातर को इस टेस्ट ने पहले ही हाई-रिस्क कैटेगरी में रख दिया था. टेस्ट को केवल स्वीडन तक सीमित नहीं रखा गया. बाद में इसे फिनलैंड और ब्रिटेन में भी आज़माया गया और वहां भी नतीजे इतने ही सटीक मिले. शोधकर्ताओं का कहना है कि आगे और अध्ययन किए जाएंगे. खासतौर पर उन लोगों पर जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज़ या ज़्यादा मोटापे की समस्या है. चूंकि ऐसे लोग लिवर रोग के मामले में ‘हाई रिस्क’ माने जाते हैं, इसलिए उनके लिए यह टेस्ट और भी अहम साबित हो सकता है.

लिवर की बीमारी के शुरुआती संकेत

मुश्किल यह है कि लिवर में जब बीमारी होती है तो उपर से शुरुआत में पता लगाना मुश्किल है लेकिन यदि आप चौकन्ने हैं तो इसका पता थोड़ा-बहुत चल सकता है. अगर आप अल्कोहल लेते हैं तो आपके इन संकेतों पर हर हाल में ध्यान देना चाहिए. जैसे अगर आपको मतली आती है, अचानक वजन घट जाता है, स्किन में पीलापन दिखता है या आंखें पीली हो जाती है तो इन संकेतों पर अलर्ट हो जाएं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. वहीं जो लोग शराब नहीं पीते हैं, यानी नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग में लगातार थकान, कमजोरी या दाईं तरफ पसलियों के नीचे भारीपन महसूस होना अहम लक्षण हैं. अगर सिरोसिस हो जाए तो हथेलियों में लाल धब्बे, स्किन पर नसों का उभर आना और बार-बार पाचन की समस्या सामने आ सकती है. वहीं लिवर कैंसर की शुरुआती स्थिति में बिना वजह वजन घटना, फ्लू जैसे लक्षण, पेट फूलना या गांठ का अहसास होना गंभीर चेतावनी का संकेत है. इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना आगे चलकर खतरनाक हो सकता है.

लिवर डैमेज के लिए यह टेस्ट अहम

अगर किसी व्यक्ति के खून में बीमारी के शुरुआती संकेत पकड़ लिए जाएं तो उसे समय रहते चेताया जा सकता है. इसका फायदा यह होगा कि डॉक्टर मरीज को शराब छोड़ने, स्वस्थ खानपान अपनाने और नियमित व्यायाम करने की सलाह दे सकेंगे. जरूरत पड़ने पर दवा देकर भी रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है. इससे न केवल सिरोसिस और कैंसर जैसी घातक बीमारियों को टाला जा सकेगा, बल्कि बहुत से मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट कराने की नौबत भी नहीं आएगी. विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती पहचान से मौत का खतरा कम होता है और जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. शोध का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर हैगस्ट्रॉम ने कहा कि यह नया टेस्ट आने वाले समय में हेल्थकेयर सिस्टम के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा. उन्होंने कहा कि प्राइमरी हेल्थकेयर प्रदाताओं को अब एक ऐसा साधन मिलेगा, जिससे वे गंभीर लिवर रोग को जल्दी पहचान सकेंगे और समय रहते कदम उठा पाएंगे.

Lakshmi Narayan

Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at Bharat.one. His role blends in-dep…और पढ़ें

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लिवर में कितनी खतरनाक बीमारी है? 10 साल पहले सिंपल टेस्ट से चल जाएगा पता


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-what-is-your-liver-disease-detect-10-years-earlier-from-simple-blood-test-sign-of-cancer-ws-n-9682707.html

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