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Karpoorvalli Health Benefits: कर्पूरवल्ली पौधा अजवाइन जैसा दिखता है लेकिन उसके फायदे उससे कई गुना अधिक हैं. यह पौधा पेट की गड़बड़ी, गैस, अपच, सर्दी-जुकाम और त्वचा की समस्याओं के लिए बेहद लाभकारी है. इसे घर के गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है और यह आयुर्वेदिक दृष्टि से एक वरदान माना जाता है, क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
कर्पूरवल्ली एक छोटा लेकिन बेहद गुणकारी पौधा है. यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस पौधे को घर के किचन गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है. यह एक हर्बल औषधीय पौधा है. इसकी खुशबू अजवाइन जैसी होती है, लेकिन इसके गुण और प्रभाव पूरी तरह से अजवाइन से अलग होते हैं. यह पौधा पेट, सर्दी और त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर महेश शर्मा ने बताया कि कर्पूरवल्ली पौधे की पत्तियाँ मोटी, मुलायम और हल्की नुकीली होती हैं, जिनसे ताज़ी खुशबू आती है. यह पौधा बहुत कम जगह में भी आसानी से उग जाता है और इसे ज़्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती. इसकी जड़ें मज़बूत होती हैं और यह बेल की तरह तेज़ी से फैल जाता है. इस कारण लोग इसे घर की बालकनी या छत पर भी उगाते हैं.
आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, कर्पूरवल्ली में एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को संक्रमण और सूजन से बचाते हैं. अगर किसी को सर्दी, खांसी या जुकाम की परेशानी है, तो इसकी पत्तियों को काढ़े या चाय के साथ मिलाकर सेवन करने से राहत मिलती है. इसकी पत्तियाँ हल्की तीखी और सुगंधित होती हैं, जो स्वाद को भी बढ़ाती हैं. इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाती है और सर्दी के मौसम में शरीर को ऊर्जावान रखती है.
अस्थमा या छाती में कफ जमने की समस्या में भी कर्पूरवल्ली बहुत प्रभावी औषधि की तरह काम करता है. इसके पत्तों को गर्म पानी में उबालकर भाप लेने से बंद नाक खुलती है और श्वसन तंत्र को राहत मिलती है. यह गले की खराश, खांसी और साँस लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं को कम करता है. इसके नियमित उपयोग से फेफड़ों में जमा कफ धीरे-धीरे निकलने लगता है, जिससे साँस लेने में आसानी होती है.
पेट से जुड़ी परेशानियों के लिए कर्पूरवल्ली किसी वरदान से कम नहीं है. यह गैस, अपच, पेट दर्द और भूख न लगने की स्थिति में बेहद कारगर माना जाता है. इसकी पत्तियों का रस या चाय के रूप में सेवन करने से पाचन तंत्र मज़बूत होता है. यह पाचन क्रिया को तेज़ करता है और पेट में बनने वाली गैस को नियंत्रित करता है. इसके लगातार उपयोग से भूख बढ़ती है और शरीर में हल्कापन महसूस होता है.
कर्पूरवल्ली के औषधीय गुण केवल आंतरिक नहीं, बल्कि बाहरी उपयोग में भी प्रभावी हैं. इसके पत्तों में मौजूद प्राकृतिक एंटीबायोटिक तत्व घावों को जल्दी भरने में मदद करते हैं. अगर कहीं चोट या सूजन हो, तो इसकी पत्तियों को पीसकर प्रभावित स्थान पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है. यह सूजन और दर्द को कम करने के साथ त्वचा को संक्रमण से भी बचाता है. इस कारण इसे प्राकृतिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसे में कर्पूरवल्ली एक ऐसा पौधा है जो छोटी-छोटी बीमारियों से लेकर बड़ी समस्याओं तक में असरदार साबित होता है. यह पौधा सर्दी-जुकाम, पेट दर्द, सूजन, घाव और पाचन से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदेमंद है. इसका सेवन या बाहरी प्रयोग दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है. सबसे खास बात यह है कि यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक औषधि का काम करता है.
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