Diet That Slow Brain Aging: दिमाग़ का समय से पहले बूढ़ा होना यानी ब्रेन एजिंग की समस्या आजकल कम उम्र के लोगो में भी देखने को मिल रहा है. जवानी में ही लोगों को भूलने की आदत ज्यादा होने लगी है. दुनिया भर में लाखों लोग में उम्र से पहले ही याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आने लगी है. ये शुरुआती लक्षण आगे चलकर डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं. वैज्ञानिक लंबे समय से यह प्रयास करते आ रहे हैं कि ब्रेन एजिंग की समस्या को आसानी से सुलझाया जाए. क्लीनिकल न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी ने उम्मीद की किरण दिखाई है. बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी इज़राइल, हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (यूएसए) और यूनिवर्सिटी ऑफ लाइपज़िग (जर्मनी) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया कि ग्रीन-मेडिटेरेनियन डाइट अपनाने वाले लोगों में दिमाग में एजिंग की समस्या बहुत कम हो जाता है.
ग्रीन टी और मंकाई का कमाल
इकोनोमिक टाइम्स के मुताबिक इस रिसर्च में कई पहले के अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. इसमें लगभग 300 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था. अध्ययन की अवधि 18 महीने थी. प्रतिभागियों को तीन अलग-अलग तरह की डाइट दी गईं. सामान्य हेल्दी डाइट और पारंपरिक मेडिटेरेनियन डाइट. इसमें कैलोरी कम, शक्कर कम, ज़्यादा हरी सब्ज़ियां, मछली और पोल्ट्री शामिल थे जबकि रेड मीट को हटा दिया गया था. इसके अलावा एक ग्रुप को ग्रीन-मेडिटेरेनियन डाइट दी गई जिसमें उपरोक्त सभी चीज़ों के साथ ग्रीन टी और मंकाई भी शामिल थी. अध्ययन में पाया गया कि ग्रीन-मेडिटेरेनियन डाइट लेने वाले लोगों के ब्लड टेस्ट में ब्रेन एजिंग से जुड़े प्रोटीन्स का स्तर अन्य दोनों डाइट ग्रुप्स की तुलना में काफी कम था. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि इस डाइट से दिमाग बूढ़ा होने से बच जाता है. इस डाइट का असर मुख्य रूप से खून में मौजूद उन प्रोटीन्स पर दिखा, जो दिमाग़ की तेज़ी से उम्र बढ़ने और याददाश्त में गिरावट से जुड़े होते हैं.
ग्रीन टी और मंकाई क्यों हैं महत्वपूर्ण
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस असर का कारण ग्रीन टी और मंकाई दोनों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी अणु हैं. मंकाई जिसे वॉटर लेन्टिल भी कहा जाता है प्राकृतिक रूप से प्रोटीन, पॉलिफेनॉल्स और विटामिन्स से भरपूर होती है. वहीं ग्रीन टी में कैटेचिन्स और खासकर EGCG जैसे बायोएक्टिव कंपाउड पाए जाते हैं. यह शरीर में सूजन को कम करने और न्यूरॉन्स की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं. चूंकि दिमाग की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में क्रोनिक इंफ्लेमेशन बड़ी भूमिका निभाता है, इसलिए इन दोनों फूड्स का नियमित सेवन न्यूरोलॉजिकल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. हार्वर्ड चान स्कूल की रिसर्चर और प्रमुख लेखिका अनात मीर ने कहा कि खून में मौजूद प्रोटीन सिग्नेचर्स का अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि जीवनशैली और खानपान जैसी चीज़ें वास्तविक स्तर पर दिमाग़ की उम्र को प्रभावित कर सकती हैं. इनकी मदद से भविष्य में और भी पक्के निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं.
सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी
यह शोध ऐसे समय आया है जब दुनियाभर में बढ़ती उम्र और अनहेल्दी खानपान की वजह से संज्ञानात्मक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. हल्की याददाश्त की दिक़्क़त अक्सर नज़रअंदाज़ कर दी जाती है, लेकिन यही लक्षण आगे चलकर अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का कारण बन जाते हैं. शोधकर्ताओं की मानें तो ग्रीन-मेडिटेरेनियन डाइट न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक सेहत को भी लंबे समय तक सुरक्षित रखने का सक्षम ज़रिया साबित हो सकती है.