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What will happen when man make physical relation with 150 men Doctor explain-150 मर्दों के साथ बनाए शारीरिक संबंध बनाने पर कौन-कौन सी बीमारी होगी

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Person Make Physical Relation With 150 Men: वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ज्ञान और आध्यात्म का ऐसा मिश्रण हैं जिसमें हर किसी को अपना उद्येश्य मिल जाता है. एक व्यक्ति जब प्रेमानंद महाराज के पास आया तो उसे पहले लगा होगा कि उसके कर्मों के कारण महाराज जी से दुत्कार ही मिलेगा लेकिन महाराज जी ने ऐसा उत्तर दिया कि न सिर्फ उस व्यक्ति को बल्कि हमारे पूरे समाज को एक नई राह मिल गई. उस व्यक्ति ने प्रेमानंद महाराज से पूछा, महाराज जी मैंने अब तक 150 मर्दों के साथ शारीरिक संबंध बनाएं हैं. इससे अब मैं खुद को पापी महसूस कर रहा हूं, कृप्या मेरा मार्गदर्शन करें. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि तुम पर भगवान की विशेष कृपा है. अब तक तुम्हें केवल डर और चिंता मिली.कोई सुख तो नहीं मिला. ऐसे में अब थोड़ा भगवन नाम का जप करो और इसे कंट्रोल करें तो बहुत उत्तम मनुष्य बन सकते हो. प्रेमानंद महाराज ने इन बातों ने सबका दिल जीत लिया लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर कोई 150 लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाए तो इससे होने वाली बीमारियों का क्या? क्या उसे कोई बीमारी नहीं होगी या होगी तो किस तरह की परेशानी होगी. क्या इससे एड्स भी हो सकता है. इस बारे में हमने डॉ. सी के बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में इंटरनल मेडिसीन के प्रमुख डॉ. तुषार तायल से बात की.

एड्स तक हो सकती है
डॉ. तुषार तायल ने बताया कि अगर कोई पुरुष अधिक पुरुषों के साथ बिना कंडोम संबंध बनाता है तो इसके एक नहीं बल्कि सैकड़ों खतरे हैं. इससे भी ज्यादा मुश्किल बात यह है कि इन बीमारियों में ज्यादातर में शुरुआत में लक्षण नहीं दिखते. इसके लक्षण दिखने में सालों लग जाते हैं इसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और इसका भयंकर परिणाम भुगतते हैं. समय के साथ यह एड्स भी हो सकता है. डॉ. तायल ने बताया कि ऐसे पुरुष जो कई पुरुषों के साथ समलैंगिंक संबंध में रहते हैं और अनप्रोटेक्टिव यौन संबंध बनाते हैं तो उसे एचआईवी, हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, गोनोरिया, सिफलिस, क्लामायडिया, ट्राइकोमोनिएसिस, एचपीवी, प्यूबिक लाइस, जेनाइटल हर्प्स जैसी कई बीमारियां लग सकती है.

क्या-क्या दिखते हैं लक्षण
डॉ. तायल ने बताया कि इन सेक्शुअली ट्रांसमीटेड डिजीज में प्राइवेट पार्ट में लक्षण दिखने लगते हैं. वहां खुजली, दाग, मस्से, घाव आदि होने लगते हैं. कई बार पेशाब करने में बहुत दिक्कत होती है. मलद्वार में खुजली भी होने लगती है. कुछ मामलों में मलद्वार से ब्लीडिंग भी होती है. कभी-कभी पेट में भी दर्द हो सकता है.

ज्यादा गंभीर क्यों
डॉ. तुषार तायल ने बताया कि ये बीमारियां इसलिए ज्यादा गंभीर है क्योंकि इनमें से अधिकांश बीमारियों के लिए अभी भी इलाज नहीं है. जैसे कि एड्स, एचआईवी, हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी आदि बीमारियों के लिए आज भी पूरी तरह से दवा विकसित नहीं हो पाई है. दूसरी ओर इसके लक्षण भी बहुत बाद में दिखते हैं. अगर इंफेक्शन का सही से इलाज नहीं हुआ है कि इनमें से कुछ इंफेक्शन दिमाग में भी पहुंच सकता है और ब्रेन के सेल्स को डैमेज कर देता है. ब्रेन में इंफेक्शन होने पर हमेशा सिर में दर्द और बुखार भी रह सकता है. इसलिए इनका इलाज बहुत जरूरी है.

ऐसे मरीज क्या करें
ऐसे मरीजों को चाहिए कि वह हर 3 महीने पर अपने ब्लड का टेस्ट कराएं. लेकिन एक बार ब्लड टेस्ट में अगर कुछ निगेटिव नहीं आया तो इसका यह मतलब नहीं कि उसे यह बीमारी नहीं है बल्कि आगे अभी बीमारी आने का खतरा कहीं ज्यादा है. क्योंकि सेक्शुअली ट्रांसमीटेड डिजीज में बीमारी का पता बहुत बाद में चलता है. इसलिए हर 6 महीने पर एक बार ब्लड टेस्ट जरूर कराना चाहिए.

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