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ताजमहल नहीं, जैसलमेर! बंगाली टूरिस्ट बार-बार क्यों आते हैं ‘सोनार किला’? सत्‍यजीत रे से क्‍या है कनेक्‍शन, 9 अनोखे फैक्ट्स

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राजस्थान की थार मरुस्थल की सुनहरी रेत पर खड़े जैसलमेर के किले को दुनिया सोनार किला(Sonar Kella) यानी गोल्डन फोर्ट के नाम से जानती है. लेकिन बंगालियों के लिए ये किला सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव है. इसकी वजह है महान निर्देशक सत्यजीत रे(satyajit ray) की फेलूदा फिल्म ‘सोनार किल्‍ला'(1974 की फ़िल्म, जो रे के अपने ही उपन्यास पर आधारित है), जिसने इस किले को एक रहस्यमय, रोमांचक और यादगार कैरेक्टर की तरह पेश किया. फिल्म के रिलीज होते ही बंगालियों का दिल इस किले में अटक गया और आज तक उनका यह प्यार कम नहीं हुआ. जैसलमेर आने वाले बंगाली टूरिस्ट की सबसे पहली विशलिस्ट में यही किला शामिल होता है.

महान निर्देशक सत्यजीत रे की फेलूदा फिल्म सोनार किल्‍ला, जिसने इस किले को एक रहस्यमय, रोमांचक और यादगार कैरेक्टर की तरह पेश किया.
फिल्म ने इस किले को कहानी, एडवेंचर और इतिहास का ऐसा मिश्रण दिया कि यह जगह एक आइकॉनिक डेस्टिनेशन बन गई. बच्चों से लेकर बड़े तक, हर बंगाली के लिए सोनार किल्‍ला सिर्फ एक शूटिंग लोकेशन नहीं, बल्कि बचपन की यादें, रहस्य, ट्रेवल डायरीज और अपनी संस्कृति का एक खूबसूरत हिस्सा है. यहां तक कि हर साल हजारों बंगाली पर्यटक सिर्फ इस किले को देखने के लिए राजस्थान की यात्रा प्लान करते हैं.
इस किले की खास बात यह है कि यह दुनिया के उन कुछ चुनिंदा किलों में शामिल है जहां आज भी लोग रहते हैं. UNESCO Heritage Site में शामिल यह किला एक जीवित इतिहास की तरह है, जहां हवेलियां, मंदिर, संकरी गलियां और पुरानी वास्तुकला फिल्म के फ्रेम दोहराती हुई दिखाई देती हैं. तो चलिए जानते हैं जैसलमेर के इस किला से जुड़े 9 अनोखे फैक्ट्स, जो इसे बाकी किलों से बिल्कुल अलग बनाते हैं-

1.दुनिया का एकमात्र ‘लिविंग फोर्ट’
जैसलमेर का सोनार किला दुनिया के उन कुछ किलों में से है जहाँ आज भी हजारों लोग रहते हैं. इसे Living Fort कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ ऐतिहासिक संरचना नहीं, बल्कि एक जीताजाता नगर भी है.

2.नाम क्यों पड़ा ‘सोनार किला’?
किले के पीले बलुआ-पत्थर सूरज की रोशनी में सोने की तरह चमकते हैं. इसी सुनहरी आभा ने इसे ‘सोनार किला’ यानी Golden Fort नाम दिया.

3.सत्यजीत रे की फिल्म ने बढ़ाई विश्वभर में पहचान
1974 में बनी फेलूदा फिल्म सोनार किला ने जैसलमेर को बंगालियों और देश के बाकी हिस्सों में आइकॉनिक बना दिया. फिल्म के कई दृश्य इसी किले और इसकी गलियों में शूट हुए थे.

4.99 बुर्ज़ वाला विशाल किला
किले में कुल 99 बुर्ज़ (Defense Bastions) बने हैं, जिनमें से 92 आज भी मजबूती से खड़े हैं. यह किले की सुरक्षा और वास्तुकला का शाहकार उदाहरण है.

5.समुद्र के बिना ‘डेज़र्ट पोर्ट’
राजस्थान के रेगिस्तान में बसे होने के बावजूद, जैसलमेर को कभी व्यापारिक ‘डेज़र्ट पोर्ट’ माना जाता था. यहाँ से अफगानिस्तान, पर्शिया और अरब देशों तक व्यापार होता था.

6.800 साल पुराना इतिहास
किले का निर्माण 1156 ईस्वी में राजा रावल जैसल ने करवाया था. इसका इतिहास लगभग 8 शताब्दी पुराना है और इसमें कई युद्ध तथा राजपूती कथाएँ दर्ज हैं.

7.किले के अंदर जैन मंदिरों का अनोखा समूह
सोनार किले के भीतर 12वीं–15वीं सदी में बने जैन मंदिर हैं, जिनकी नक्काशी इतनी बारीक है कि इसे देखकर आगरा की संगमरमर कला भी फीकी लग जाए.

8.तंग गलियां और भूलभुलैया जैसा स्ट्रक्चर
किले की गलियां बहुत संकरी और भूलभुलैया जैसी हैं. यही कारण है कि दुश्मन सेना के लिए किले में प्रवेश करना बेहद कठिन होता था.

9.UNESCO वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट
जैसलमेर किला यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है. यह राजस्थान के सबसे सुरक्षित और सबसे खूबसूरत किलों में से एक माना जाता है.

सोनार किला में रोजाना ऐसे पर्यटक मिल जाते हैं जो फेलूदा की फिल्म के प्रसिद्ध सीन—किले की दीवारें, छत और गलियां, रीक्रिएट करते हैं. बंगाली टूरिस्ट के लिए यह एक तरह का ‘फिल्म पर्यटन’ भी है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/travel-why-bengali-tourists-prefer-jaisalmer-over-taj-mahal-and-what-is-the-connection-with-satyajit-ray-sonar-kella-9-unique-facts-golden-fort-ws-l-9880736.html

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