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नलगोंडा सोमेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य और विज्ञान की कहानी

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Ajab Gajab: हैदराबाद से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर स्थित 800 साल पुराने छाया सोमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर पड़ती छाया का रहस्य आज तक किसी ने नहीं सुलझाया. मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला और सूर्य की किरणों के विज्ञान ने एक ऐसा चमत्कार रचा है, जो आज भी विज्ञान और आस्था दोनों के लिए चुनौती बना हुआ है.

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हैदराबाद. शहर से मात्र 100 किलोमीटर दूर, तेलंगाना के नलगोंडा जिले में 800 वर्ष प्राचीन ‘छाया सोमेश्वर महादेव’ मंदिर स्थित है. यह मंदिर अपने अद्भुत और अनसुलझे रहस्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. पूरे दिन शिवलिंग पर एक स्तंभ की छाया मंडराती रहती है, लेकिन यह छाया आती कहां से है, यह आज तक कोई नहीं जान पाया.

यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला और विज्ञान के अद्वितीय ज्ञान का प्रमाण है. ऐसा माना जाता है कि दक्षिण भारत में चोल साम्राज्य जैसे शक्तिशाली राजवंशों के संरक्षण के कारण यहां के मंदिर उत्तर भारत की तरह बड़े पैमाने पर विदेशी आक्रमणों का शिकार नहीं हुए. इसलिए यहां की अद्भुत कलात्मकता और वैज्ञानिक चमत्कार आज भी अपने मूल स्वरूप में देखे जा सकते हैं.

क्या है इस मंदिर का रहस्य
मंदिर का रहस्य सरल दिखता है, लेकिन इसके पीछे गहन विज्ञान छुपा हुआ है. मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के ठीक सामने कोई स्तंभ नहीं है, फिर भी जिस स्तंभ की छाया शिवलिंग पर पड़ती है, वह शिवलिंग और सूर्य के बीच नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर परिसर में बाहर लगे स्तंभों की स्थिति और उनका डिज़ाइन इतना सटीक है कि सूर्य की गति के साथ इन स्तंभों की आपसी परछाइयां मिलकर एक ऐसी छाया बनाती हैं, जो सीधे शिवलिंग पर पड़ती है.

विज्ञान भी हैरान है लेकिन आस्था अडिग है
भौतिक विज्ञानी मनोहर शेषागिरी के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण में पूर्व-पश्चिम दिशा, सूर्य की किरणों की गणना और प्रकाश के परावर्तन का गहन ज्ञान इस्तेमाल किया गया था. प्राचीन कारीगरों ने स्तंभों को इस तरह रखा कि सूर्य चाहे जहां भी हो, उसकी रोशनी से बनने वाली छाया हमेशा शिवलिंग को ही स्पर्श करे.

हालांकि 800 वर्षों में मंदिर की दीवारों पर दरारें आ गई हैं, लेकिन तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए संरक्षण कार्यों ने इस ऐतिहासिक धरोहर को नया जीवन दिया है. आज भी यह रहस्य देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं. नलगोंडा के पनागल बस स्टैंड से यह मंदिर मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे यह आसानी से सुलभ है. यह मंदिर सिर्फ आस्था का ही नहीं, बल्कि एक ऐसी सभ्यता का प्रतीक है, जहां विज्ञान और आध्यात्म का अद्भुत मेल देखने को मिलता है, जो आज भी विज्ञान के लिए चुनौती बना हुआ है.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

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क्या है हैदराबाद के इस मंदिर का रहस्य जो 800 साल बाद भी नहीं सुलझा


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