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Kevladev National Park | Bharatpur Birds | Kurjan Migration | Russian Birds in India | Bird Watching Rajasthan | Winter Tourism India | Migratory Birds 2025

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Kevladev National Park: रूस से हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर कुरजां पक्षी राजस्थान के भरतपुर स्थित केवलादेव नेशनल पार्क पहुंचे हैं. उनकी वापसी के साथ अभयारण्य में फिर से रौनक लौट आई है. इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक और पक्षी प्रेमी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.

राजस्थान के भरतपुर का केवलादेव नेशनल पार्क एक बार फिर पक्षियों के कलरव से गूंज उठा है. रूस के सुदूर साइबेरिया क्षेत्र से हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर हर साल की तरह इस बार भी कुरजां पक्षी डेमोइसल क्रेन अपने शीतकालीन प्रवास पर भरतपुर पहुंच गए हैं. इन खूबसूरत प्रवासी पक्षियों के आगमन से न केवल पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों में खुशी की लहर दौड़ गई है.

बल्कि केवलादेव का प्राकृतिक सौंदर्य भी एक बार फिर निखर उठा है. हर साल अगस्त-सितंबर के पहले सप्ताह में साइबेरिया के ठंडे इलाकों से उड़ान भरकर ये पक्षी लगभग 30 दिन में हिंदुस्तान की सीमा में प्रवेश करते हैं. दीपावली से पहले इनका आगमन शुरू हो जाता है और मार्च तक ये भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में प्रवास करते हैं.

इस दौरान ये पक्षी यहां के तालाबों, झीलों और घास के मैदानों में भोजन करते हैं और अपनी मोहक उपस्थिति से देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करते हैं. रूस के बुर्यातिया और तुवा क्षेत्रों में टैग किए गए कुरजां पक्षियों के कई प्रमुख झुंड अभी रास्ते में हैं. जैसे ही मानसूनी बादल पूरी तरह हटेंगे ये झुंड भी अगले एक सप्ताह के भीतर भारत की सीमा में प्रवेश कर जाएंगे.

इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश के कारण मार्ग में बने अस्थायी जलाशयों और नमीयुक्त चारागाहों में भोजन व विश्राम की पर्याप्त सुविधा मिल रही है. जिसके चलते कुरजां पक्षी कुछ समय के लिए रास्ते में रुक रहे हैं. केवलादेव में प्रवास के दौरान कई बार ये पक्षी यहां प्रजनन भी करते हैं. इनके बच्चे जब उड़ने योग्य हो जाते हैं.तब मार्च के अंतिम सप्ताह में ये सभी वापस अपने मूल निवास स्थल रूस की ओर लौट जाते हैं.

कुरजां पक्षी न केवल अपनी सुंदरता और सामाजिक जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं. बल्कि भारतीय संस्कृति में भी इनका विशेष स्थान है. राजस्थान में कुरजां पर कई लोकगीत रचे गए हैं. जिनमें कुरजां ए म्हारो भंवर मिला दे गीत आज भी लोगों की जुबां पर है. अब लोग इनको देखने के लिए केवला देव नेशनल पार्क आने लगे हैं. साथ ही पार्क में भी इनकी रौनक देखने को मिल रही है.

कुल मिलाकर रूस से भरतपुर तक की यह हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा न केवल प्रकृति के अद्भुत संतुलन का उदाहरण है. बल्कि यह दर्शाती है.कि केवलादेव नेशनल पार्क वास्तव में पक्षियों का स्वर्ग क्यों कहलाता है. इन प्रवासी अतिथियों के आगमन ने भरतपुर की जैव विविधता और पर्यटन दोनों में नई जान फूंक दी है.

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रूस का स्वर्ग उतरा राजस्थान में…कुरजां पक्षियों ने पार्क को बनाया वंडरलैंड


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