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द्वारका नगरी: श्रीकृष्ण की राजधानी के रहस्यमय अवशेष

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Dwarka History: श्रीकृष्ण की यह नगरी आज भी समुद्र की गहराइयों में एक रहस्य बनी हुई है. द्वारका, हिंदू धर्म के पवित्र नगरों में से एक है, जिसे भगवान कृष्ण ने समुद्र से पुनः स्थापित किया था, लेकिन उनके प्रस्थान क…और पढ़ें

क्यों और कैसे डूबी थी द्वारका? इस श्राप के कारण समुद्र की गहराइयों में...

क्यों और कैसे डूबी थी द्वारका?

हाइलाइट्स

  • द्वारका श्रीकृष्ण की नगरी समुद्र में डूबी.
  • गांधारी के श्राप से यदुवंश नष्ट हुआ.
  • वैज्ञानिकों ने द्वारका के अवशेष खोजे.

Dwarka, Shri Krishna: द्वारका नगरी धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. श्रीकृष्ण का साम्राज्य केवल इस धरती पर ही नहीं, बल्कि हर भक्त के हृदय में भी बसता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके द्वारा बसाई गई द्वारका नगरी का क्या हुआ? यह नगर, जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी राजधानी बनाया था, अब समुद्र की गहराइयों में समा चुका है. कहते हैं कि इसका हर कण कृष्ण लीलाओं का साक्षी था, लेकिन आज वहां सिर्फ समुद्र की लहरों की गूंज सुनाई देती है. गोमती नदी और अरब सागर के संगम पर बसी यह नगरी कभी समृद्धि और शक्ति का केंद्र थी. आज भी यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए पवित्र धाम माना जाता है. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि द्वारका समुद्र में डूब गई? आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे रहस्यों को.

क्यों बसाई गई थी द्वारका नगरी?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण ने मथुरा में कंस का वध कर दिया था, लेकिन कंस के ससुर जरासंध ने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया. बार-बार के हमलों से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी प्रजा को पश्चिम की ओर ले जाने का निर्णय लिया और समुद्र से भूमि प्राप्त कर एक भव्य नगरी बसाई, जिसे द्वारका नाम दिया गया.

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जलमार्ग से ही आना संभव था
द्वारका का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने किया गया था. यह नगर सोने-चांदी से निर्मित महलों और मजबूत किलों से घिरा हुआ था. द्वारका तक पहुंचने के लिए जलमार्ग से ही आना संभव था, जिससे यह नगर सुरक्षित रहता था.

द्वारका के समुद्र में समा जाने की कई कथाएं
गांधारी का श्राप: महाभारत युद्ध में अपने 100 पुत्रों को खोने के बाद गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि उनके वंश का भी विनाश हो जाएगा. परिणामस्वरूप, यदुवंशी आपस में ही लड़कर नष्ट हो गए.

श्रीकृष्ण का देह त्याग: यदुवंश के नष्ट होने के बाद श्रीकृष्ण ने भी वन में जाकर ध्यान लगाया. उसी दौरान शिकारी जर ने गलती से उन्हें तीर मार दिया, जिससे उन्होंने देह त्याग दिया.

समुद्र ने ले ली अपनी भूमि: श्रीकृष्ण के स्वर्ग गमन के बाद समुद्र ने वह भूमि वापस ले ली, जिस पर द्वारका बसाई गई थी, और पूरा नगर जलमग्न हो गया.

द्वारका के अवशेषों की खोज
समुद्र में खोई हुई द्वारका को लेकर वैज्ञानिक और पुरातत्वविद लंबे समय से शोध कर रहे हैं. समुद्र की गहराइयों में 5000 से अधिक वर्ष पुराने अवशेष मिले, जिनमें दीवारें, खंभे और शिल्प शामिल थे.
कार्बन डेटिंग से पता चला कि ये अवशेष 9000 साल पुराने हो सकते हैं. यह खोज बताती है कि द्वारका कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक नगर था.

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क्या द्वारका फिर से खोजी जा सकती है?
भारत सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारका के रहस्यों को सुलझाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में और गहराई से खोज करने पर द्वारका के और प्रमाण सामने आ सकते हैं.

द्वारका केवल एक नगर नहीं, बल्कि एक महान सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक थी. आधुनिक खोज और वैज्ञानिक प्रमाण इस बात को साबित करते हैं कि यह नगर वास्तव में अस्तित्व में था और किसी प्राकृतिक आपदा या समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण डूब गया.

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क्यों और कैसे डूबी थी द्वारका? इस श्राप के कारण समुद्र की गहराइयों में…


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