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Adhi Vinayakar Temple in tamilnadu Shraddha and Tarpan at Tiltarpanpuri bestows the same virtue as Gaya | दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां नरमुखी गणेशजी की होती है पूजा, श्राद्ध और तर्पण से मिलता है गया जैसा पुण्य

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पितृपक्ष अब अपने समापन की तरफ बढ़ रहा है और आज हम आपको दक्षिण भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो अपने रहस्यों की वजह से काफी प्रसिद्ध है. साथ ही गणेशजी का यहां एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां वह गजानन स्वरूर में दर्शन नहीं देते हैं. इस मंदिर में पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यहां नरमुखी गणेशजी की होती है पूजा, पितृ श्राद्ध से मिलता है गया जैसा पुण्य
पितृ श्रद्धा और तर्पण की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. दक्षिण भारत में इसके लिए तमिलनाडु का तिलतर्पणपुरी सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है. मान्यता है कि यहीं पर भगवान राम ने अपने पितरों की शांति के लिए पूजा-अर्चना की थी. इस स्थान की विशेषता यह भी है कि यहां स्थित आदि विनायक मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गणेश का स्वरूप मानव मुख वाला है, गजमुख नहीं. इस अद्वितीय स्वरूप को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु यहां प्रतिवर्ष आते हैं. आइए जानते हैं दक्षिण भारत के तिलतर्पणपुरी के बारे में…

भगवान राम के श्राद्ध कर्म की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम अपने पिता दशरथ का श्राद्ध कर्म कर रहे थे, तो उनके द्वारा बनाए गए चावल के पिंड बार-बार कीड़ों में बदल जाते थे. इस विचित्र स्थिति से परेशान होकर राम ने भगवान शिव से प्रार्थना की. तब भोलेनाथ ने उन्हें तिलतर्पण पुरी स्थित आदि विनायक मंदिर में पूजा करने का निर्देश दिया. राम ने यहां आकर अनुष्ठान किया, जिसके बाद वे चार पिंड चार शिवलिंग में परिवर्तित हो गए. आज ये शिवलिंग पास ही स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में विराजमान हैं. यही कारण है कि यहां आज भी मंदिर के भीतर ही पितृ शांति का अनुष्ठान होता है, जो सामान्यतः नदी तटों पर किया जाता है.

यहां भगवान शिव के चरण चिन्ह भी
इस स्थान को तिल और तर्पण से जोड़कर तिलतर्पण पुरी नाम दिया गया है. यहां पितृ दोष निवारण, आत्म पूजा, अन्नदान और विशेषकर अमावस्या पर पिंड दान का अत्यधिक महत्व है. श्रद्धालु मानते हैं कि यहां पितृ कर्म करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और परिवार पर से पितृ दोष का प्रभाव समाप्त होता है. मंदिर परिसर में नंदीवनम (गोशाला) और भगवान शिव के चरण चिन्ह भी स्थित हैं, जो इसकी पवित्रता को और बढ़ाते हैं.

देवी सरस्वती का एकमात्र मंदिर
यह पवित्र स्थल तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के कुटनूर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यही नहीं, कुटनूर में देवी सरस्वती का एकमात्र मंदिर भी है, जिसे कवि ओट्टकुठार ने बनवाया था. श्रद्धालु तिलतर्पण पुरी आने पर सरस्वती मंदिर के दर्शन अवश्य करते हैं. मंदिर के संरक्षक लक्ष्मण चेट्टियार बताते हैं कि हजारों भक्त यहां गणेश, सरस्वती और शिव के दर्शन के लिए आते हैं. नर मुख गणेश का यह मंदिर सांतवीं सदी का माना जाता है और मान्यता है कि माता पार्वती ने अपने मैल से गणेश का यह रूप बनाया था. इसे गणेश का पहला स्वरूप भी माना जाता है.

गया के श्राद्ध के समान महत्व
पितृ कर्म के लिए दक्षिण भारत में एक और प्रसिद्ध स्थल है कांचीपुरम, जिसे दक्षिण का काशी कहा जाता है. यहां विशेषकर नेनमेलि श्रद्धा संरक्षण नारायणन मंदिर में अमावस्या और एकादशी के दिन श्राद्ध कर्म का आयोजन होता है. यहां किया गया तर्पण गया के श्राद्ध के समान महत्व रखता है.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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यहां नरमुखी गणेशजी की होती है पूजा, पितृ श्राद्ध से मिलता है गया जैसा पुण्य


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