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Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब व्यक्ति अपने मन, शरीर और विचारों को शुद्ध करता है. भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि बनी रहती …और पढ़ें

पूजा की तैयारी
अनंत चतुर्दशी की पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान करके शुरू की जाती है. इसके बाद व्रत रखने का मन में निश्चय किया जाता है. पूजा के लिए एक साफ जगह पर मिट्टी या पीतल का कलश रखा जाता है. कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखा जाता है. फिर पूजा स्थल को सजाया जाता है.
अनंत सूत्र की विशेष भूमिका
इस दिन एक खास धागा जिसे “अनंत सूत्र” कहा जाता है, उसकी पूजा की जाती है. यह सूत्र हल्दी और केसर से रंगा हुआ होता है और इसमें 14 गांठें होती हैं. इन गांठों का मतलब है जीवन के 14 शुभ पहलू जिनकी रक्षा भगवान विष्णु करते हैं. इस सूत्र को पूजा के बाद पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएँ हाथ में बांधती हैं.
पूजा की शुरुआत भगवान विष्णु का ध्यान करने से होती है. कलश के पास कुश से बने अनंत देव की स्थापना की जाती है. फिर अनंत सूत्र को उनके पास रखा जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाए जाते हैं और गन्ने के रस से बनी खीर का भोग लगाया जाता है.
पूजा करते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप किया जाता है. इस मंत्र के उच्चारण से मन को शांति मिलती है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है.
अनंत चतुर्दशी के दिन नमक रहित फलाहार करना चाहिए. दिन भर सात्विक आहार और संयम का पालन करना आवश्यक होता है. पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दैनिक उपयोग की चीजें दान करनी चाहिए. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.
विशेष उपाय
इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायक माना जाता है. भगवान विष्णु के हजार नामों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है. पूजा के समय घी का दीपक जलाना भी शुभ माना गया है. यदि संभव हो तो पूजा के बाद 14 जायफल किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना चाहिए.
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