Home Astrology Nepalese Gen Z protests has a connection with Puri famous Jagannath temple...

Nepalese Gen Z protests has a connection with Puri famous Jagannath temple | नेपाल ने जब जब की भगवान जगन्नाथ की अवहेलना, तब तब आया संकट, जानें Gen-Z क्रांति का मंदिर से कनेक्शन

0


Last Updated:

नेपाल में चल रही उथल पुथल का भगवान जगन्नाथ के मंदिर से कनेक्शन सामने आया है. दरअसल जब जब नेपाल ने भगवान जगन्नाथ की अवहेलना करने की कोशिश की है, तब तब नेपाल में कई तरह की परेशानियां देखी गई हैं. कभी भूकंप का आना तो कभी सरकार का गिरना. आइए जानते हैं Gen-Z क्रांति का मंदिर से क्या है संबंध…

नेपाल ने जब जब की भगवान जगन्नाथ की अवहेलना, तब तब आया संकट
नेपाल की Gen-Z क्रांति ने पूरे देश में भयंकर उथल-पुथल मचा रखी है. Gen-Z के विरोध प्रदर्शन के बाद केपी ओली की सरकार गिर गई और प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी बिल्डिंगों को आग के हवाले कर दिया. नेपाल में आई इस त्रासदी के पीछे ओडिशा के पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का कनेक्शन सामने आया है. जगन्नाथ मंदिर के कुछ सेवकों ने नेपाल में चल रही अशांति को मंदिर के लिए कस्तूरी की आपूर्ति बंद होने से जोड़ा है. उनका कहना है कि यह कस्तूरी मंदिर के अनुष्ठानों के लिए जरूरी है, जो पहले नेपाल से आती थी. सेवकों के मुताबिक, नेपाल से कस्तूरी न मिलने से मंदिर की परंपराएं और धार्मिक अनुष्ठान प्रभावित हो रहे हैं.

इसलिए काम आता है कस्तूरी
सेवकों ने बताया कि प्राकृतिक कस्तूरी का इस्तेमाल मंदिर के दैनिक और खास अनुष्ठानों में होता है. खासतौर पर बनक लागी नाम के गुप्त अनुष्ठान में इसका उपयोग होता है, जिसमें देवताओं को सजाया जाता है. साथ ही, यह कस्तूरी नीम की लकड़ी से बनी मूर्तियों को कीड़ों से बचाने और भगवान जगन्नाथ के चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में भी मदद करता है.

नेपाल के राजा नियमित रूप से भेजते थे कस्तूरी
कस्तूरी कैलाश क्षेत्र में मानसरोवर झील के पास पाए जाने वाले कस्तूरी मृग से मिलती है. पहले नेपाल के राजा इसे नियमित रूप से पुरी भेजते थे, क्योंकि उनके और जगन्नाथ मंदिर के बीच गहरा आध्यात्मिक रिश्ता था. नेपाल के राजाओं को पुरी आने पर रत्न सिंहासन पर भगवान जगन्नाथ की पूजा करने का विशेष अधिकार मिलता था. सेवकों का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में वन्यजीव संरक्षण कानूनों के कारण नेपाल ने कस्तूरी की आपूर्ति बंद कर दी है. इससे मंदिर के अनुष्ठान प्रभावित हुए हैं.

पहले आ चुकी हैं प्राकृतिक आपदाएं
डॉ. मोहंती ने याद दिलाया कि पहले जब कस्तूरी की आपूर्ति रुकी थी, तब नेपाल में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं आई थीं. ये घटनाएं आपस में जुड़ी हैं. चुनारा सेवकों ने मंदिर प्रशासन और भारत सरकार से अपील की है कि वे कस्तूरी की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाएं. उन्होंने नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का उदाहरण दिया, जो भारत के केदारनाथ का आध्यात्मिक जुड़ाव माना जाता है. यह दोनों मंदिरों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते को दिखाता है.

आध्यात्मिक बंधन कमजोर होगा
सेवकों का मानना है कि कस्तूरी की कमी से सिर्फ अनुष्ठान ही प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि नेपाल और पुरी के बीच का प्राचीन आध्यात्मिक बंधन भी कमजोर होगा. वहीं बनक लागी अनुष्ठान से जुड़े संजय कुमार दत्ता महापात्रा ने कहा कि कस्तूरी बिना अनुष्ठान अधूरे हैं. मंदिर प्रशासन बार-बार अनुरोध के बावजूद कहता है कि नेपाली राजा ने कस्तूरी भेजना बंद कर दिया है. इसी तरह, मुक्ति मंडप के पंडित संतोष कुमार दास ने कहा कि नेपाल के राजा सूर्यवंश और पुरी के गजपति राजा चंद्रवंश से हैं. जगन्नाथ परंपरा दोनों राजवंशों को जोड़ती है, और कस्तूरी इस पवित्र विरासत का हिस्सा रही है. सेवकों का कहना है कि कस्तूरी के बिना दैनिक पूजा प्रभावित हो रही है और नेपाल-पुरी का रिश्ता भी कमजोर हो रहा है. वे चाहते हैं कि सरकार इस समस्या का समाधान करे ताकि मंदिर की परंपराएं बनी रहें.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

नेपाल ने जब जब की भगवान जगन्नाथ की अवहेलना, तब तब आया संकट


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/nepalese-gen-z-protests-has-a-connection-with-puri-famous-jagannath-temple-ws-kl-9613822.html

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version