Ravivar Vrat Vidhi: रविवार व्रत 5 अक्टूबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि योग में पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 6 अक्टूबर को रात 12 बजकर 45 मिनट तक कुंभ राशि में है. उसके बाद मीन राशि में गोचर करेगा. अग्नि और स्कंद पुराणों में उल्लेख है कि रविवार का व्रत रखने से साधक को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. रविवार का व्रत आप किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है. 12 रविवार व्रत कर उद्यापन कर दें.
द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. उस दिन राहुकाल शाम 4 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. वहीं, त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर शाम 5 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर दोपहर के 3 बजकर 3 मिनट तक है. इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी.
रविवार के शुभ योग
रविवार को रवि योग सुबह 08:01 ए एम से बनेगा और पूरी रात रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग चतुर्दशी तिथि में 6 अक्टूबर को 06:16 ए एम से 06:17 ए एम तक है.
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है.
रविवार व्रत नियम और पूजा विधि
1. रविवार व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें.
2. उसके बाद सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत् और रोली डालकर अर्घ्य दें. सूर्य मंत्र का जाप करें और रविवार व्रत कथा सुनें. ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
3. रविवार के दिन आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र “ऊं सूर्याय नमः” या “ऊं घृणि सूर्याय नमः” का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है.
4. रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है. इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है.
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