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एकादशी के दिन मरने वालों को क्यों रहना पड़ता भूखा, नहीं मिलता अन्न का एक भी दाना

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पवित्र और धार्मिक दृष्टि से शुभ माना गया है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और उपवास, पूजा-पाठ एवं भक्ति का विशेष महत्व रहता है. लेकिन एकादशी के दिन मरने वाले की आत्मा को आखिर भूखा क्यों रहना पड़ता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह…

एकादशी के दिन मरने वालों को क्यों रहना पड़ता भूखा, नहीं मिलता अन्न का दाना
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय पितरों को समर्पित माना जाता है. इस पूरे पखवाड़े में पूर्वजों की आत्मा को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध से तृप्त किया जाता है. मान्यता है कि इस अवधि में पितरों की आत्माएं पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद तथा तर्पण ग्रहण करती हैं. पितृपक्ष के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर एकादशी के दिन मरने वाले लोगों की आत्माओं को स्वर्ग लोक में आखिर भूखा क्यों रहना पड़ता है. एकादशी के दिन मृत्यु प्राप्त करने वाले की आत्मा सीधे स्वर्ग लोक जाती है लेकिन वहां उसे पूरे भूखा प्यासा रहना पड़ता है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों है…
स्वर्ग का भंडारा रहता है बंद
मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु एकादशी तिथि के दिन हो जाए तो उसकी आत्मा सीधे स्वर्ग लोक में जाती है. लेकिन वहां पर उसको पूरे दिन भूखा ही रहना पड़ता है. गरुण पुराण के अनुसार, एकादशी के दिन स्वर्ग सभी लोगों में भंडारा बंद रहता है, जिसकी वजह से इस दिन आत्मा को अन्न का एक भी दाना नहीं मिलता है. दरअसल स्वर्ग समेत सभी लोकों में जैसे ब्रह्म लोक, बैकुंठ धाम, शिव लोक आदि लोकों में एकादशी का व्रत और पूजा अर्चना की जाती है. हालांकि सभी लोकों में जो कार्य किए जाते हैं, वे होते रहते हैं, वे रुकते नहीं हैं लेकिन एकादशी के दिन किसी को भी व्रत की वजह से भोजन नहीं मिलता है.
श्रीहरि की होती है विशेष कृपा
मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस दिन मृत्यु पाने वाले व्यक्ति की आत्मा पर श्रीहरि की विशेष कृपा होती है. स्कंदपुराण और गरुड़पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति एकादशी को मृत्यु को प्राप्त होता है, उसे बार-बार जन्म लेने की पीड़ा से छुटकारा मिल सकता है. इसलिए एकादशी तिथि मोक्षदायी तिथि भी कहा गया है. यह भी माना जाता है कि एकादशी पर मरने वाला व्यक्ति अपने पितरों के साथ उत्तम लोक में जाता है और उसकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है.

उत्तम लोक की होती है प्राप्ति
कहा जाता है कि जो व्यक्ति एकादशी को मृत्यु को प्राप्त होता है, उसकी आत्मा को स्वतः ही पितरों की श्रेणी में स्थान मिल जाता है. उसका लोककल्याणकारी मार्ग प्रशस्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी सरल हो जाती है. मान्यता है कि एकादशी को मरने वाले व्यक्ति के वंशज अगर श्रद्धा से श्राद्ध करते हैं, तो उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में बाधाएं कम होती हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी की तिथि अत्यंत पवित्र होती है. इस दिन मृत्यु को प्राप्त आत्मा को पितरों के साथ उत्तम लोक की प्राप्ति होती है और उसकी आत्मा को अनावश्यक भटकना नहीं पड़ता.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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