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कैसे शुरू हुआ हज, क्यों करना जरूरी, क्या मिलता है, क्या कहता है इस्लाम, जानें

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Haj karna kyon jaruri : हज पर जाना हर सक्षम मुस्लिम पुरुष और महिला पर जीवन में एक बार फर्ज किया गया है. ये एक धार्मिक यात्रा है, जो हर साल इस्लामिक कैलेंडर के आखरी महीने में की जाती है.

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हज करना क्यों ज़रूरी है, इस्लाम मे क्या है इसका महत्व, क्या यह एक रूहानी सफऱ है

हाइलाइट्स

  • हज इस्लाम के पांच अनिवार्य स्तंभों में से एक है.
  • हज यात्रा सऊदी अरब के मक्का शहर में होती है.
  • ये आत्मशुद्धि और अल्लाह की बंदगी का प्रतीक है.

Haj importance/अलीगढ़. हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जो हर सक्षम मुस्लिम पुरुष और महिला पर जीवन में एक बार फर्ज किया गया है. ये एक धार्मिक यात्रा है जो हर साल इस्लामी कैलेंडर के महीने ‘जिल-हिज्जा’ यानी इस्लामिक कैलेंडर के आखरी महीने में की जाती है. हज यात्रा सऊदी अरब के मक्का शहर में की जाती है. मुस्लिम समुदाय के लोग हज पर इसलिए जाते हैं क्योंकि ये केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, अल्लाह की बंदगी का प्रतीक है. हज के दौरान दुनिया भर के लाखों मुसलमान एक ही लिबास (एहराम) में, एक ही मकसद के साथ, एक ही स्थान पर इकट्ठा होते हैं, जिससे इंसानियत, एकता और विनम्रता का संदेश मिलता है.

इनसे जुड़ा है इतिहास

अलीगढ़ के हज ट्रेनर मोहम्मद शमशाद खान बताते हैँ कि इस्लामी मान्यता के अनुसार, हज का इतिहास पैगम्बर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) और उनके बेटे इस्माइल (अलैहिस्सलाम) से जुड़ा है. जब अल्लाह के हुक्म से इब्राहिम ने काबा की तामीर की और लोगों को वहां हज के लिए बुलाया, तब से ये परंपरा चली आ रही है. हज करने वाले मुस्लिम उन तमाम अहम जगहों पर जाते हैं, जैसे मिना, अराफात और मुजदलिफा और हजरत हाजरा. यहां वे उनके बेटे इस्माइल की कुर्बानी और सब्र की याद में विभिन्न रस्में अदा करते हैं.

कबूल होती हर दुआ

मोहम्मद शमशाद कहते हैं कि हज इसलिए जरूरी माना गया है क्योंकि ये सीधे अल्लाह के करीब जाने का जरिया है. ये इंसान को अहंकार, दुनियावी मोह और गुनाहों से दूर करके उसे सच्चे अर्थों में अल्लाह का बंदा बनाता है. हज के दौरान की गई इबादत, तौबा और दुआ को अल्लाह विशेष रूप से कबूल करता है. हज इंसान को सबक देता है कि दुनिया की असलियत क्या है. जीवन का मकसद केवल धन-दौलत नहीं, बल्कि अल्लाह की रजा हासिल करना है. जब कोई मुसलमान हज पर जाता है, तो वो अपने जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव पार करता है, जो उसकी रूह को पाक करता है और उसे एक बेहतर इंसान बनने की राह दिखाता है. इस प्रकार, हज न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि ये एक आध्यात्मिक, सामाजिक और भावनात्मक यात्रा भी है, जो मुसलमान के इमान को मजबूत करती है और उसे पूरी उम्मत से जोड़ती है.

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