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चढ़ावे के ₹5 से बना था सिद्धपीठ बालाजी मंदिर, मुस्लिम कारीगरों ने किया था निर्माण, अनोखी है परंपरा

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चूरू. जन-जन की आस्था के केंद्र, विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ श्री सालासर धाम, आज भारत के चुनिंदा मंदिरों में गिना जाता है. इसी सालासर बालाजी धाम मंदिर का निर्माण कभी चढ़ावे के मात्र पांच रुपए से हुआ था. यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है कि करीब 271 साल पहले, पांच रुपए की कीमत लाखों रुपए के बराबर थी. उस समय में पांच रुपए की रकम केवल धनाढ्य लोगों के पास ही होती थी.

मंदिर के मनोज पुजारी बताते हैं कि संत मोहनदास जी महाराज ने करीब 271 साल पहले, बालाजी के चढ़ावे में आए पांच रुपए से मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर निर्माण का उद्देश्य श्रद्धा से जुड़ा था. संवत 1811, श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित हुई थी. बाद में संत मोहनदास जी ने फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ नामक कारीगरों को बुलाकर मंदिर का निर्माण करवाया, जो संवत 1815 में पूरा हुआ. वर्तमान में मंदिर परिसर विस्तृत क्षेत्र में फैला है और सभी सुविधाएं भी हैं.

ऐसे शुरू हुई धोक लगाने की परंपरा
मंदिर के अरविंद पुजारी बताते हैं कि सालासर के ठाकुर और जुलियासर के ठाकुर भाई थे. जुलियासर के ठाकुर असाध्य रोग से पीड़ित थे, तो उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना की कि यदि वे ठीक हो जाएंगे, तो सालासर मंदिर में अपनी पत्नी के साथ जोड़े से धोक लगाएंगे. अरदास के बाद उनका रोग ठीक हो गया, और उन्होंने पत्नी के साथ सालासर मंदिर में धोक लगाई और पांच रुपए का चढ़ावा दिया. इसी पांच रुपए से संत मोहनदास जी ने मंदिर का निर्माण करवाया. खास बात यह है कि यहां जोड़े से धोक लगाने की परंपरा ठाकुर ने ही शुरू की, जो आज भी चल रही है. शादी के बाद जोड़े के साथ सालासर मंदिर में धोक लगाने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं.

FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 17:36 IST

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