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‘पगला बाबा’ के भक्त थे लालू यादव, मिर्जापुर के आश्रम में 3 घंटे किया था तंत्र पूजा, डंडे से पीटकर देते थे आशीर्वाद, जानें कहानी

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मिर्जापुर: विंध्यपर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी धाम साधकों की भूमि है. यहां पर कई ऐसे संत हुए, जिन्हें सिद्ध संत का दर्जा मिला. विंध्यधाम में साधना के लिए एक ऐसे ही संत पहुंचे थे, जो पगला बाबा के नाम से देशभर में विख्यात हुए. पगला बाबा के सबसे अनंत भक्त लालू यादव हुआ करते थे. लालू यादव कई बार पगला बाबा के आश्रम पहुंचकर घंटों तक साधना भी की थी. हालांकि बाबा की मृत्यु हो जाने के बाद लालू यादव आश्रम नहीं आएं. बाबा के समाधि के दर्शन के लिए महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार आदि प्रान्तों से भक्त आते हैं.

मिर्जापुर के विन्ध्याचल के तुलसी तलैया में पश्चिम बंगाल से विभूति नारायण उर्फ पगला बाबा तंत्र साधना के लिए पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने एक आश्रम बनाया. पगला बाबा अघोरी संत थे. गांव से दूर एक जगह पर अकेले तंत्र साधना करते थे. ग्रामीण बताते हैं कि उनके आश्रम पर कोई जाता था तो वह भगा देते थे. उनको दौड़ा लिया करते थे. वजह अलग तरह की तंत्र पूजा और साधना थी. पगला बाबा चाहते थे कि कोई उन्हें परेशान न करें. उनके हाथ में एक रहस्यमयी डंडा हुआ करता था. उसी से वह मारा करते थे. ऐसी मान्यता थी कि जिसको भी बाबा डंडे से मार देते थे, उसकी किस्मत बदल जाती थी. अघोरी बाबा शिव के परम भक्त थे.

बाबा के साथ रहता था कुत्ता 

आश्रम में मौजूद अनुयायी प्रिंस यादव ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि अघोरी संत पगला बाबा के साथ दो कुत्ते एक जवाहर और एक नारायणी हुआ करता थे. दोनों हमेशा उनके साथ रहते थे. ऐसी मान्यता थी कि पगला बाबा जिनको डंडे से मार दिए. उसकी किस्मत बदल गई. बताया कि बाबा किसी भी भक्त को अंदर नहीं आने देते थे और बाहर से ही भगा देते थे.

लालू यादव की बदली क़िस्मत

पगला बाबा ने लालू यादव को डंडे से आशीर्वाद दिया था. जिन लोगों की किस्मत बदली, उन्हीं में एक लालू यादव भी थे. बिहार की सियासत के बड़े चेहरों में एक लालू यादव पगला बाबा के अनन्य भक्त थे. पगला बाबा के संपर्क में आने के बाद भी लालू यादव के जीवनकाल में आमूल-चूल परिवर्तन हुए. वर्ष 2013 में लालू यादव ने तीन घंटे तक आश्रम में तंत्र पूजा की थी. यह देशभर में काफी सुर्खियों में रहा.

कुत्तों की बनाई गई है समाधि

पगला बाबा के आश्रम में मौजूद जिन कुत्तों की मृत्यु हो जाती है, उनका समाधि बनाया जाता है. प्रतिदिन महागुरु को भोग लगाने के बाद सभी समाधि को भोग लगाया जाता है. आज भी यहां पर दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. यहां पर आज भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है. कई अघोरी संत भी बाबा के आश्रम में पहुंचते हैं.

लालू यादव ने भी की थी पूजा 

वहीं, रामलाल साहनी ने बताया कि 2013 में लालू यादव स्वयं यहां पर आकर जमीन पर बैठकर तीन घंटे तक साधना की थी. अपने परिवार के लोगों से बातचीत कराया था. उन्हें जीवों से बहुत प्रेम था. वह स्वयं खाना तैयार करते और उन्हें खिलाते थे. तंत्र साधना के लिए प्रचंड पहाड़ वाले इलाके पर जाया करते थे. वह कम लोगों से मिलने का प्रयास करते थे. उन्होंने जिस व्यक्ति कक आशीर्वाद दिया. उनकी किस्मत बदल गई.

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