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पूजा में कुशासन, ऊनी या रेशमी आसन श्रेष्ठ माने जाते हैं, ये ऊर्जा संतुलन और ध्यान में मदद करते हैं. प्लास्टिक या सिंथेटिक आसन से बचना चाहिए, सही आसन पूजा का फल बढ़ाता है. वास्तु और शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते समय जिस आसन पर बैठा जाता है, वह हमारी ऊर्जा, ध्यान और पूजा के फल को प्रभावित करता है.
हिंदू धर्म में पूजा केवल मंत्रों और भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सही आसन का भी विशेष महत्व है. वास्तु और शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते समय जिस आसन पर बैठा जाता है, वह हमारी ऊर्जा, ध्यान और पूजा के फल को प्रभावित करता है. कई लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं और गलत आसन का प्रयोग कर बैठते हैं, जिससे पूजा का प्रभाव कम हो सकता है. आइए जानें सही आसन और इसके पीछे का कारण.
पूजा के लिए किस तरह का आसन चुनें?
- कुशासन (कुश घास का आसन)
- शास्त्रों में इसे सबसे श्रेष्ठ माना गया है. कुशा को पवित्र माना जाता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
- ध्यान और मंत्र जाप के लिए आदर्श है.
- ऊनी आसन
- ऊन का आसन शरीर की गर्मी बनाए रखता है और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा को संतुलित करता है.
- सर्दियों में पूजा के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है.
- रेशमी या सूती आसन
- रेशमी आसन को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. धन और समृद्धि की पूजा में इसका प्रयोग शुभ है.
- सूती आसन साधारण पूजा के लिए उपयुक्त है.
- दरियां या प्लास्टिक शीट से बचें
- ये आसन ऊर्जा प्रवाह को बाधित करते हैं और शास्त्रों में इन्हें अनुचित माना गया है.
सही आसन का महत्व क्यों है?
- ऊर्जा का संतुलन: पूजा के समय शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को आसन अवशोषित करता है. सही आसन से यह ऊर्जा स्थिर रहती है.
- ध्यान केंद्रित करने में मदद: आरामदायक और पवित्र आसन मन को स्थिर करता है, जिससे मंत्र जाप का प्रभाव बढ़ता है.
- नकारात्मकता से बचाव: कुशा और ऊन जैसे प्राकृतिक आसन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं.
गलत आसन के नुकसान
- प्लास्टिक या सिंथेटिक आसन से ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है.
- जमीन पर सीधे बैठना भी उचित नहीं माना जाता क्योंकि इससे शरीर की ऊर्जा धरती में चली जाती है.
अतिरिक्त टिप्स
- आसन हमेशा साफ और पवित्र रखें.
- पूजा के बाद आसन को मोड़कर सुरक्षित स्थान पर रखें.
- एक ही आसन का बार-बार प्रयोग करें, इसे बदलते न रहें.
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