दरभंगा: मिथिलांचल में अचार सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है, जो हर थाली को सजीव बना देती है. उन्हीं पारंपरिक अचारों में से एक है कटहल का अचार, जो अपने अनोखे तीखे-खट्टे स्वाद और मसालेदार खुशबू के लिए जाना जाता है. खासतौर पर गर्मियों में जब कच्चा कटहल आसानी से मिलता है, घरों में इसकी तैयारी शुरू हो जाती है.
कटहल के टुकड़ों को सरसों के तेल, सौंफ, राई, लाल मिर्च, हल्दी और दूसरे मसालों के साथ मिलाकर धूप में सुखाया जाता है, जिससे इसका स्वाद दिनोंदिन निखरता जाता है. यह अचार पराठे, दाल-चावल, पूरी या किसी भी साधारण खाने के साथ एक पंजाबी तड़का जैसा जादू बिखेर देता है.
स्वाद लें पर सीमित मात्रा में
कटहल का अचार उत्तर भारत की पारंपरिक रेसिपी में से एक है. इसका स्वाद थोड़ा तीखा, खट्टा और मसालेदार होता है, जो किसी भी साधारण खाने को खास बना देता है. कटहल में फाइबर, विटामिन और खनिज होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं, हालांकि इसमें तेल और मसाले ज्यादा होते हैं, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही खाना बेहतर है.
इन चीजों की पड़ेगी जरूरत
कच्चा कटहल 500 ग्राम, सरसों का तेल 1 कप गरम किया हुआ हल्का ठंडा, राई मोटी पिसी हुई 2 बड़े चम्मच, सौंफ 1 बड़ा चम्मच, कलौंजी 1 छोटा चम्मच, हल्दी पाउडर 1 छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर 2 छोटे चम्मच, नमक स्वाद अनुसार और सिरका 2 बड़े चम्मच लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए लिया जाता है.
ऐसे करें तैयार
कटहल को छीलकर छोटे टुकड़ों में काट लें. एक बड़े बर्तन में पानी उबालें और उसमें कटहल के टुकड़े डालें. 5–7 मिनट तक हल्का उबालें ताकि कच्चापन निकल जाए. उबले टुकड़ों को निकालकर एक साफ कपड़े पर फैला दें और 3–4 घंटे धूप में सुखाएं, क्योंकि ज्यादा पानी रहने से अचार जल्दी खराब हो सकता है.
एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम करें और उसे हल्का ठंडा होने दें. इसमें राई, सौंफ, कलौंजी, हल्दी, लाल मिर्च और नमक डालें. मसालों को अच्छी तरह मिलाएं और हल्का भूनें, लेकिन जलने न दें. अब सूखे हुए कटहल के टुकड़े मसाले में डालें और अच्छी तरह मिलाएं ताकि हर टुकड़े पर मसाला लग जाए. सिरका डालें और दोबारा मिलाएं.
एक साफ-सूखे बर्तन पर भरें
इस मिश्रण को एक साफ, सूखे कांच के जार में भरें और जार को अच्छी तरह बंद करें. 4–5 दिनों तक जार को रोजाना धूप में रखें और हर दिन हल्का हिलाएं ताकि मसाला समान रूप से फैले. लगभग एक हफ्ते में अचार तैयार हो जाएगा और पराठे, दाल, चावल या पूरी के साथ खाया जा सकता है.
पोषण का खजाना है कटहल
कटहल में फाइबर, विटामिन A, C, पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और कब्ज से बचाते हैं. अचार में तेल और मसाले ज्यादा होते हैं, इसलिए इसे सीमित मात्रा में खाएं. अचार को हमेशा सूखे, साफ जार में रखें और पानी या नमी न जाने दें, वरना फफूंद लग सकती है. सिरका और तेल का सही अनुपात रखने पर अचार कई महीनों तक चल सकता है.
बिना केमिकल होता तैयार
कटहल का अचार सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि एक पारंपरिक विरासत भी है. यह खाने में अलग रंग भर देता है, खास कर गर्मियों में जब कच्चा कटहल आसानी से मिलता है. इसकी तीखी, खट्टी और मसालेदार खुशबू परिवार के लोगों को जरूर पसंद आएगी. घर पर बनाया गया अचार इस बात का संतोष भी देता है कि इसमें कोई अतिरिक्त चीज या केमिकल नहीं है.
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