करौली:- भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने और रिझाने के लिए भक्त कई तरह की पूजा पद्धतियां अपनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान श्रीकृष्ण सहित हिंदू धर्म के सभी देवता दो प्रकार की पूजा पद्धतियों से सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं. यदि इन दोनों पद्धतियों में से किसी एक को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए अपनाया जाए, तो वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के हृदय में वास करने लगते हैं. हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी इन दोनों पद्धतियों को सर्वोत्तम और वैध बताया गया है.
शास्त्रों में दो प्रकार की पूजा का विधान
करौली के प्रसिद्ध भागवत आचार्य पं. रमेश चंद्र शास्त्री Bharat.one को बताते हैं कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में दो प्रकार की पूजा का विधान है. इसमें पहली मानसिक पूजा है, जो एकाग्र होकर भगवान की मूर्ति की कल्पना कर की जाती है. इस पद्धति में मन के द्वारा ही भगवान का आह्वान किया जाता है. शास्त्री जी बताते हैं कि इस पद्धति में मन के द्वारा ही भगवान का स्नान, माल्यार्पण, आरती, भोग और परिक्रमा की जाती है. उनका कहना है कि शास्त्रों में मानसिक पूजा को योगियों, विद्वान संतों और महात्माओं के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है.
पंडित रमेश चंद्र शास्त्री बताते हैं कि यदि किसी के लिए मानसिक पूजा करना संभव न हो, तो वह भगवान की धातु या मिट्टी की मूर्ति बनाकर भगवान का ध्यान कर सकता है. फिर स्नान, चंदन, माल्यार्पण कर भगवान को सच्चे हृदय से भोग अर्पित करें. खासकर इस पद्धति में भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उनके लिए माखन-मिश्री का भोग लगाना चाहिए. श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए गुरु मंत्र, अर्थात द्वादश अक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का जाप अवश्य करें.
पूजा में प्राय: इस बात को भूल जाते हैं लोग
पं. रमेश चंद्र शास्त्री Bharat.one को बताते हैं कि अधिकांश लोग पूजा में प्राय: प्रार्थना करना भूल जाते हैं. जिस प्रकार घर में मेहमान आने पर यदि उन्हें कुछ मीठे बोल न बोले जाएं, तो अच्छी आवभगत के बावजूद भी वे प्रसन्न नहीं होते हैं. ठीक इसी प्रकार, यदि भगवान की पूजा पद्धति में प्रेमपूर्वक भगवान की प्रार्थना नहीं की जाए, तो भगवान भी प्रसन्न नहीं होते हैं.
सच्ची प्रार्थना से हृदय में वास करते हैं भगवान
शास्त्री जी बताते हैं कि विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की सच्चे मन से प्रार्थना की जाए, तो अन्य किसी चीज की फिर आवश्यकता नहीं पड़ती है. सच्ची प्रार्थना से भगवान प्रेमपूर्वक प्रसन्न हो जाते हैं और हृदय में बैठे हुए परमात्मा प्रेम को पहचान लेते हैं. इसीलिए, भगवान की प्रेमपूर्वक प्रार्थना करने को ही सर्वोत्तम विधि बताया गया है.
FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 22:11 IST
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