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साल भर भक्तों के लिए खुला आस्था का केंद्र, राजस्थान के इस प्राचीन मंदिर में क्यों रहती विदेशी भक्तों की भीड़? जानें

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Jalore Mata Ka Mandir: जालोर का प्राचीन माताजी मंदिर साल भर भक्तों का आस्था केंद्र बना रहता है. यहां माता की दिव्य मान्यताओं के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. मंदिर की भव्यता और धार्मिक महत्व इसे आस्था और श्रद्धा का प्रमुख स्थल बनाते हैं. हर भक्त यहां माता का आशीर्वाद पाने के लिए आता है.

सुंधा माता मंदिर लगभग 900 वर्ष पुराना है और यह जालोर जिले के भिनमल उपखंड में स्थित है. यह मंदिर अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊंचाई पर स्थित है और देवी चामुंडा को समर्पित है, जिन्हें यहां सुंधा माता के नाम से पूजा जाता है. मंदिर के परिसर में तीन ऐतिहासिक शिलालेख पाए गए हैं, जो 1262, 1326 और 1727 ईस्वी के हैं. किंवदंती के अनुसार, यह स्थल देवी सती के शरीर के अंगों के गिरने से शाक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ. नवरात्रि के दौरान यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें गुजरात और राजस्थान के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं.

क्षेमकरी माता मंदिर भीनमाल में स्थित है और यह देवी क्षेमकरी को समर्पित है, जिन्हें खिमज माता भी कहा जाता है. यह मंदिर प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है. किंवदंती के अनुसार, यहां एक राक्षस उत्तमौजा का वध देवी ने किया था, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापित हुई. यह मंदिर विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान भक्तों से भरा रहता है.

चामुंडा माता मंदिर आहोर कस्बे में स्थित है और यह देवी चामुंडा को समर्पित है. यह मंदिर प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है. किंवदंती के अनुसार, यहां देवी ने राक्षसों का वध कर क्षेत्र में शांति स्थापित की थी. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है.

आशापुरा माता मंदिर मोदरान में स्थित है और यह देवी आशापुरा को समर्पित है. यह मंदिर विशेष रूप से सोनारा राजपूतों की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है. किंवदंती के अनुसार, यहां एक व्यापारी देवचंद शाह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर मंदिर का निर्माण कराया था. यह मंदिर नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से सजाया जाता है.

आशापुरा माता का एक और प्रसिद्ध मंदिर जालोर किले में स्थित है. यह मंदिर विशेष रूप से शाक्त मतावलंबियों के लिए आस्था का केंद्र है. किंवदंती के अनुसार, यहां देवी ने राजा की मनोकामना पूरी की थी, जिससे यह स्थल पवित्र बन गया. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है.

1300 साल पुराना चौंसठ जोगणियों का मंदिर जालोर जिले के सुंदला तालाब के पास स्थित है. यह मंदिर विशेष रूप से जोगी समुदाय के लिए आस्था का केंद्र है. किंवदंती के अनुसार, यहां देवी ने जोगियों की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है. और 9 दिन विशेष गरबा महोत्सव का आयोजन होता है. पौराणिक परंपराओं के आधार पर.

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