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हिंदू विवाह में विदाई पर दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म का महत्व

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हिंदू विवाह में विदाई पर दुल्हन द्वारा चावल फेंकना लक्ष्मी स्वरूप बेटी की अपने मायके के लिए सुख, समृद्धि और आभार की शुभकामना का धार्मिक प्रतीक है. इस धर्म का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.

आपने कई जगहों के विवाह में देखा होगा, कि जब नई नवेली दुल्हन विदा होने को होती है, तब हिंदू विवाह में विदाई के समय दुल्हन द्वारा पीछे की ओर चावल फेंकने की रस्म निभाई जाती है. इस धर्म का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.

1. बेटी को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है

हिंदू धर्म में बेटियों को माता लक्ष्मी और अन्नपूर्णा का रूप माना जाता है. जब दुल्हन विदा होती है, तो यह माना जाता है कि वह अपने मायके के लिए सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना करती है. चावल फेंकना इस शुभकामना का प्रतीक है कि घर में अन्न और धन की कभी कमी न हो.

2. चावल का धार्मिक महत्व

धर्मशास्त्रों में चावल को धन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना गया है. इसलिए विदाई के समय चावल का उपयोग किया जाता है. यह रस्म मायके को बुरी नजर से बचाने और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए भी की जाती है.

3. आभार और दुआ का प्रतीक

दुल्हन अपने माता-पिता और परिवार को धन्यवाद देने के लिए यह रस्म करती है. यह संकेत है कि भले ही वह घर छोड़ रही है, लेकिन उसके मन में परिवार के लिए दुआएं और शुभकामनाएं बनी रहेंगी.

4. पीछे मुड़कर न देखने की मान्यता

विदाई के समय दुल्हन को पीछे मुड़कर देखने की मनाही होती है, इसका अर्थ है कि वह अपने मायके का सौभाग्य अपने साथ नहीं ले जा रही, बल्कि उसे वहीं छोड़ रही है ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे.

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